सपा नेताओं का गठबंधन से नहीं हुआ मोह भंग, बोले-गठबंधन टूटने की लिखित में नहीं मिली कोई जानकारी
अकेले उपचुनाव लडऩे की घोषणा के बाद गठबंधन का भविष्य लगभग समाप्त माना जा रहा है लेकिन मुरादाबाद के सपा नेताओं का गठबंधन से मोह भंग नहीं हुआ है।
मुरादाबाद, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में हार के बाद गठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि प्रदेश में मुरादाबाद इकलौता ऐसा मंडल है, जहां सभी छह सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशियों की जीत हुई है। स्थानीय नेता इस प्रदर्शन के बल पर गठबंधन की सफलता का गुणगान भी कर रहे हैं। जबकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रिमो मायावती उपचुनाव अलग-अलग लडऩे के बयान दे चुके हैं। अकेले उपचुनाव लडऩे की घोषणा के बाद गठबंधन का भविष्य लगभग समाप्त माना जा रहा है लेकिन, मुरादाबाद के सपा नेताओं का गठबंधन से मोह भंग नहीं हुआ है। पार्टी के नेता अब भी कह रहे हैं कि उन्हें लिखित रूप से इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि गठबंधन टूट गया है। जब तक यह जानकारी हमें नहीं मिलेगी हम कैसे मान लें कि गठबंधन टूट गया है।
मंडल में सपा-बसपा के प्रत्याशियों की हुई है जीत
मंडल में जिस तरह से सपा-बसपा प्रत्याशियों की जीत हुई है, ऐसे में नेता गठबंधन न तोडऩे की नसीहत भी देते हुए नजर आ रहे हैं। दोनों पार्टियों का गठबंधन अभी सिर्फ पांच माह ही पुराना है। 12 जनवरी को लखनऊ में संयुक्त प्रेसवार्ता करके दोनों पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन करके लडऩे का एलान किया था। लोकसभा चुनाव जीतने के लिए सपा-बसपा ने 25 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर गठबंधन किया था। इसमें राष्ट्रीय लोकदल को भी शामिल करके तीन सीटें दी गई थी, जबकि सपा-बसपा 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ा था। पूरे सूबे में केवल मुरादाबाद मंडल ही ऐसा रहा, जहां प्रदर्शन बेहतर रहा। रामपुर, मुरादाबाद, सम्भल में सपा और अमरोहा, बिजनौर व नगीना में बसपा प्रत्याशियों को जीत मिली। सपा-बसपा के इस गठबंधन में लोकसभा चुनाव में केवल 15 सीटें ही हासिल हुई, जबकि दोनों पार्टी के नेता 50 सीटें जीतने की बात कह रहे थे।
परिणाम खराब आने के बाद लिया फैसला
परिणाम खराब आने के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने दिल्ली में समीक्षा बैठक के बाद यह एलान किया कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा का उपचुनाव सभी सीटों पर लड़ेगी, जबकि वह उपचुनाव लडऩे से हमेशा बचती रही है। पार्टी ने इससे पहले उपचुनाव 2010 में लड़ा था।
रामपुर उपचुनाव पर रहेगी सभी की नजर
लोकसभा चुनाव में पूरे देश की निगाह रामपुर सीट के परिणाम पर लगी थी। यहां से सपा नेता मुहम्मद आजम खां ने जीत हासिल की थी। रामपुर विधानसभा सीट से आजम नौ बार जीत हासिल कर चुके हैं। ऐसे में उनका अब उत्तराधिकारी कौन होगा इस पर भी सभी की निगाह लगी हुई है। वहीं बसपा यहां से किस प्रत्याशी को चुनाव में उतारेगी और क्या परिणाम होंगे, यह देखना काबिलेगौर होगा।
अभी दोनों राष्ट्रीय नेताओं के द्वारा गठबंधन तोडऩे की बात नहीं की गई है, केवल उपचुनाव अलग-अलग लडऩे की बात कही गई है। ऐसे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
- डॉ. एसटी हसन, सांसद
गठबंधन टूटने की अभी तक हमें कोई लिखित रूप से जानकारी नहीं मिली है। आज ईद के मौके पर दोनों पार्टियों के पदाधिकारियों ने एक-दूसरे के गले मिलकर बधाई दी है। गठबंधन मंडल में मजबूत है।
- हाजी इकराम कुरैशी, देहात विधायक
इस मामले में अभी कुछ भी कहना उचित नहीं है। राष्ट्रीय नेता अपने स्तर पर समय आने पर उचित जवाब देंगे। हमें आलाकमान से कोई जानकारी भी नहीं दी गई है।
- नवाब जान, ठाकुरद्वारा विधायक
दोनों पार्टी के नेता और पदाधिकारी आज भी एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। कार्यकर्ताओं की मेहनत से गठबंधन ने मंडल की सभी सीटें जीती हैं। हमें गठबंधन टूटने की कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी गई है।
- मुहम्मद फहीम, बिलारी विधायक
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