Rain water harvesting system in Morababad : कागजों में नियम, धरातल पर नहीं हो रही पानी की बचत
बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार ने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को किया था अनिवार्य। प्रदेश में 547 और जिले में 27 सरकारी इमारतों में लगा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम।
मुरादाबाद। बारिश के जल को संरक्षित करने के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सबसे बेहतर तरीका है। भूजल के स्तर को सुधारने के लिए यह सबसे उत्तम पद्धति है। सरकार बीते कई सालों में भूजल दोहन को रोकने के साथ ही रेन वॉटर हारवेङ्क्षस्टग सिस्टम लगाने को लेकर आम लोगों को जागरूक करने में जुटी है। इसी के चलते मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में तीन सौ मीटर या उससे बड़े मानचित्रों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य किया गया था। जल संरक्षण के कागजों में खूब नियम और कानून बनाए गए हैं,लेकिन इन नियमों को धरातल में कोई पालन नहीं हो रहा है।
हालांकि इस दिशा में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की ओर से प्रभावी और कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इसी वर्ष एक वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सही न होने के चलते एक शुगर मिल को बंदी का आदेश जारी किया गया था। लेकिन सरकार की ओर से आज तक इस दिशा में कोई कड़े कदम नहीं उठाए गए। एमडीए से पास होने वाले मानचित्रों में तीन सौ मीटर के प्लाट में वॉट हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य है,लेकिन जिले में बीते दस सालों में केवल तीन सौ घरों में अनिवार्य शर्त को पूरा किया गया है। प्राधिकरण के अफसर भी इसको लेकर बहुत ज्यादा गंभीर नहीं रहते हैं। अक्सर कागजों में ही अनिवार्य शर्तों को पूरा करा लिया जाता है,जबकि हकीकत में कभी कोई अधिकारी शायद ही स्थलीय निरीक्षण के लिए जाता हो। अफसरों की लापरवाही नतीजा है कि जिले की सरकारी इमारतों में भी गिनती के वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे हुए हैं। मौजूदा समय में जिले में केवल 27 ऐसी इमारतें हैं,जिनमें वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है। जबकि इनकी सालों तक मरम्मत न होने के कारण भी काम करना बंद कर देते हैं। विकास भवन की इमारत में जो सिस्टम बना है,वो सालों से बंद है। यहां पर इमारत का तो नवीनीकरण कराया गया,लेकिन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की मरम्मत कराने पर कोई जोर नहीं दिया गया।
कलेक्ट्रेट परिसर में भी नहीं लगा सिस्टम
जिले के सबसे बड़े कार्यालय में भी वॉटर हारवेङ्क्षस्टग सिस्टम नहीं लगा है। यहां पर अक्सर बरसात के दिनों में पानी भर जाता है। इसके बाद भी यहां के अधिकारियों ने कभी इस दिशा में काम करने की कोशिश नहीं की। इसी के चलते जिले में दर्जनों ऐसी इमारतें हैं,जिनमें वॉटर हारवेङ्क्षस्टग सिस्टम नहीं लगा है। वहीं हाउङ्क्षसग सोसायटी में भी इसको लेकर बहुत ज्यादा गंभीरता नहीं बरती गई है।
एमडीए से तीन सौ मीटर तक जो भी मानचित्र पास होते हैं,उनमें वाटर हारवेङ्क्षस्टग सिस्टम लगाना अनिवार्य होता है। कंपलीशन प्रमाण पत्र भी इसी के आधार पर जारी किया जाता है। जिले में जो भी नई इमारतों का निर्माण हो रहा है,उनमें वाटर हारवेङ्क्षस्टग सिस्टम लगाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में ङ्क्षसचाई विभाग के साथ ही भूजल गर्भ जल विभाग इस दिशा में काम करने के निर्देश दिए हैं।
राकेश कुमार ङ्क्षसह,जिलाधिकारी