जुगाड़ के चक्कर में रोडवेज प्रबंधन यात्रियोंं की जान जोखिम में डाल रहा
लॉकडाउन के बाद 22 मार्च से 30 मई तक बसों का संचालन बंद रहा। एक जून से दोबारा बसों का संचालन शुरू हुआ लेकिन यात्रियों की संख्या नहीं बढ़ी। सितंबर तक आर्थिक स्थिति और खराब हो गई। रोडवेज प्रबंधन तंत्र ने पैसेंजर टैक्स भी देना बंद कर दिया।
मुरादाबाद, जेएनएन। रोडवेज की आर्थिक स्थिति खराब होने से बसों की मरम्मत के लिए कल पुर्जे मिलना बंद हो गए हैैं। गियर बॉक्स व इंजन की खराबी के चलते एक के बाद एक बसें डिपो में डंप हो रही हैैं। ब्रेक शू के अभाव में जुगाड़ से ब्रेक ठीक करके यात्रियों की जान को जोखिम में डाला जा रहा है।
लॉकडाउन के बाद 22 मार्च से 30 मई तक बसों का संचालन बंद रहा। एक जून से दोबारा बसों का संचालन शुरू हुआ लेकिन, यात्रियों की संख्या नहीं बढ़ी। सितंबर तक आर्थिक स्थिति और खराब हो गई। रोडवेज प्रबंधन तंत्र ने पैसेंजर टैक्स भी देना बंद कर दिया। मुख्यालय से रुपये मांगकर कर्मियों को वेतन का भुगतान किया गया। त्योहारी सीजन शुरू होने पर अक्टूबर व नवंबर में यात्रियों की संख्या कुछ बढ़ी तो कमाई का ग्राफ भी चढ़ा। हालांकि, बकाया का भुगतान के चलते आर्थिक स्थिति नहीं सुधरी। टैक्स बचाने के लिए 50 बसों का परमिट सरेंडर कर दिया है। इस पूरी उठापटक का असर सुविधाओं पर भी पड़ रहा है। यहां तक कि बसों की मरम्मत के लिए मुख्यालय से मांग के विपरीत 10 फीसद कुल पुर्जे आ रहे हैैं। सरेंडर बसों के पुर्जे निकालकर वर्तमान में दौड़ रहीं बसों में फिट किए जा रहे हैैं। मामूली कल पुर्जे तक डिपो में उपलब्ध नहीं हैं। पीतल नगरी डिपो में दो बसों का गियर बॉक्स और एक बस का इंजन खराब है। ये दोनों 20 दिनों से वर्कशाप में खड़ी हैैं। पांच बसें मुरादाबाद डिपो में धूल फांक रही हैैं। बसों के ब्रेक शू तक नहीं है। तकनीकी टीम जुगाड़ से ब्रेक को ठीक कर रही है। सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक (पीतल नगरी) शिव बालक ने बताया कि मुख्यालय से कल पुर्जे मिलने में परेशानी हो रही है, जिससे बसों की मरम्मत नहीं हो पा रही है। कल पुर्जे के अभाव में लगातार बसें खड़ी हो रही हैैं।