जानिए कौन हैं वो जिन्होंने सरदार भगत सिंह की प्रतिमा लगवाने के लिए 20 साल तक नहीं खाया अन्न
Republic Day 2022 आज पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा है। सम्भल के लोकतंत्र सेनानी चौधरी महीपाल सिंह इस दिन को कुछ अलग तरीके से मनाते हैं। वह देश की आजादी में शामिल हुए महापुरुषों को याद करते हैं तो लोगों को भी उन दिनों की याद दिलाते हैं।
सम्भल, जेएनएन। Republic Day 2022 : आज पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा है। इसकी खुशी हर तरफ देखने को मिल रही है लेकिन, सम्भल के लोकतंत्र सेनानी चौधरी महीपाल सिंह इस दिन को कुछ अलग ही तरीके से मनाते हैं। वह देश की आजादी में शामिल हुए महापुरुषों को याद करते हैं तो लोगों को भी उन दिनों की याद दिलाते हैं। जब देश आजाद हुआ तब उनकी आयु लगभग दस साल थी, लेकिन उन्हें आज भी सबकुछ याद है कि कैसे खुशी मनाई गई थी।
सम्भल निवासी लोकतंत्र सेनानी चौधरी महीपाल सिंह दाऊदयाल खन्ना से भी आजादी के बाद मिले थे। इतना ही नहीं वह स्वतंत्रता सेनानी बाबू जीवाराम एडवोकेट से भी कई बार मिले। इनका शहीद भगत सिंह के परिवार से गहरा नाता है। वह 1973 में शहीद भगत सिंह की माता जी विद्यावती से मिले थे और आशीर्वाद लिया था। उस समय भगत सिंह के दोनों भाई भी मौजूद थे। महीपाल सिंह भगत सिंह से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने उनकी प्रतिमा लगाने के लिए 20 साल तक संघर्ष किया।
प्रतिमा लगवाने की मांग को लेकर उन्होंने अन्न भी छोड़ दिया था, लेकिन सात माह पहले सम्भल में प्रतिमा लगी तो इन्होंने भोजन शुरू कर दिया। लोकतंत्र सेनानी महीपाल सिंह ने बताया कि डीएम संजीव कुमार रंजन और तत्कालीन एसडीएम दीपेंद्र यादव के सहयोग से सम्भल में शहीद भगत सिंह की प्रतिमा लगी है। वर्ष 23 मार्च 1976 को मैंने मुरादाबाद जेल में शहीद भगत सिंह व सुखदेव राजगुरु का बलिदान दिवस मनाया था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वतंत्रता सेनानी बाबू जीवाराम एडवोकेट ने की थी।