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रामपुर की रजा लाइब्रेरी में पांच सौ साल से महफूज है ताड़पत्र पर लिखी रामायण

रजा लाइब्रेरी में वेशकीमती किताबों का खजाना है। इसमें 60 हजार किताबें और 17 हजार पांडुलिपियां हैं। इनमें ताड़ पत्र पर लिखी 204 पांडुलिपि भी शामिल हैं। यहां ताड़पत्र पर लिखी सात रामायण हैं। इनमें एक पांच सौ साल पुरानी है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 06:12 AM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 11:18 AM (IST)
रामपुर की रजा लाइब्रेरी में पांच सौ साल से महफूज है ताड़पत्र पर लिखी रामायण
लाल कपड़े में रखा गया है, ताकि यह फफूंदी व कीड़े मकोड़े से बची रहे।

रामपुर (मुस्लेमीन)। 500 year old Ramayana in Raza Library।  अपने किताबी खजाने के लिए दुनियाभर में मशहूर रजा लाइब्रेरी में हजरत अली के हाथ से हिरन की खाल पर लिखी कुरआन है तो सुमेर चंद की सोने के पानी से लिखी रामायण। लेकिन, इसमें ताड़पत्र पर लिखी रामायण भी है, जो पांच सौ साल पुरानी है। इसे लाल कपड़े में रखा गया है, ताकि यह फफूंदी व कीड़े मकोड़े से बची रहे। 

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रजा लाइब्रेरी में वेशकीमती किताबों का खजाना है। इसमें 60 हजार किताबें और 17 हजार पांडुलिपियां हैं। इनमें ताड़ पत्र पर लिखी 204 पांडुलिपि भी शामिल हैं। ये तेलगू, संस्कृत, कन्नड़, सिंगली व तमिल भाषा में हैं और ज्यादातर धार्मिक विषयों पर आधारित हैं। लाइब्रेरी अधिकारी अबुसाद इस्लाही बताते हैं कि ताड़पत्र पर लिखी सात रामायण हैं। इनमें एक पांच सौ साल पुरानी हैं। एक तमिल पांडुलिपि में मूर्तियाें के निर्माण और पूजा पद्धति के बारे में बताया गया है। अन्य पांडुलिपियों में विभिन्न पौधों के औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दी गई है। एक औषधीय पांडुलिपि संस्कृत भाषा में है, जो ग्रंथ लिपि में लिखी गई है। इसमें महत्वपूर्ण महाकाव्य रामायण को भी सम्मिलित किया गया है। रामायण की प्रशंसा करते हुए इसे ब्रह्मवाचकम कहा गया है।

एक पांडुलिपि कन्नड़ में संगीत के विषय पर आधारित है। एक अन्य पांडुलिपि पेरियाटिन बायेमोलि है, जो वैष्णवों का पवित्र ग्रंथ है। सभी पांडुलिपियां सुरक्षित हैं। इन्हे लाल कपड़े में रखा गया है क्योंकि लाल कपड़े में रखने से कीड़, मकौड़ी फफूंदी नहीं लगती है। रजा लाइब्रेरी में पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए प्रयोगशाला भी है। अगर किसी पांडुलिपि में कोई खराबी नजर आती है तो प्रयोगशाला में उसका फौरन उपचार किया जाता है। 

विश्व धरोहर घोषित कराने का प्रयासन

नवाबी दौर में बनी इस लाइब्रेरी की इमारत भी बेहदह खूबसूरत है। इसके स्तंभ में मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे की आकृति बनी हैं, जो सांप्रदायिक सौहार्द की प्रतीक है। रजा लाइब्रेरी के निदेशक का कार्य देख रहे जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह अब इसे यूनेस्को से विश्व धरोहर घोषित कराने के लिए भी प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में प्रदेश की राज्यपाल को भी लिखा है। राज्यपाल लाइब्रेरी बोर्ड की अध्यक्ष हैं। इसे पुरातत्व विभाग को सौंपे जाने के लिए भी लिखा है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय हमारी धरोहर योजना के तहत सौंदर्यीकरण कराने पर भी विचार कर रहा है। उसके अधिकारी 18 दिसंबर को लाइब्रेरी भी आए थे। 


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