मुरादाबाद में बोले राकेश टिकैत, किसानों को बदनाम कर रही भाजपा की इंटरनेट मीडिया
Rakesh Tikait in Moradabad मुरादाबाद में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार चाहें जो कर ले तीनों कृषि कानून वापस लेने ही होंगे। एक घंटा मूंढापांडे टोल प्लाजा पर किसानों के साथ डटे रहे टिकैत।
मुरादाबाद, जेएनएन।Rakesh Tikait in Moradabad। रामपुर के बिलासपुर से किसानों के काफिले को टोल प्लाजा से पास कराने के लिए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत खुद ही पहुंच गए। उन्होंने अपनी मौजूदगी में किसानों को टोल प्लाजा से पास कराया। काफिले के साथ आए राकेश टिकैत एक घंटा तक मूंढापांडे टोल प्लाजा पर डटे रहे।
प्रशासन ने किसानों से बातचीत करके मंशा जानने की कोशिश की तो उन्होंने साफ कह दिया कि रोका गया तो आंदोलन यहीं शुरू हो जाएगा। इसके बाद प्रशासन ने किसानों से कुछ नहीं कहा। पुलिस तमाशा देखती रही और किसानों के वाहन निकलते रहे। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता नरेश टिकैत मूंढापांडे टोल प्लाजा पर पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि सरकार चाहें जो कर ले। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना ही होगा। यह कानून किसानों के हितों में बने होते को हमारा गन्ना 150 रुपये नहीं बिकता। किसान अब यही बात समझ गया है। भाजपा जिन लोगों को बैठकर किसान सम्मेलन करने के दावा कर रही है। वह भाजपा के कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि कानून बनने से पहले एक बड़े उद्योगपति का गोडाउन बन गए। इसका मतलब किसी को समझाने की जरूरत है क्या?, किसान इतना बेवकूफ भी नहीं है, जितना हमारे देश के प्रधानमंत्री ने समझ रखा है। सरकार से हमारी कोई लड़ाई नहीं है। वार्ता के सारे रास्ते खुले हैं। पहले तीनों कृषि कानूनों को खत्म करके एमएसपी पर कानून बनाया जाए। यह नहीं हुआ तो किसानों का धान 800 से एक हजार रुपये तक ही बिकता रहेगा। प्रधानमंत्री अपने मन की बात ही कहते रहते हैं। किसानों के मन की बात उन्होंने क्यों नहीं समझी। हमारे गन्ना का बकाया भुगतान कराकर एहसान दिखा रहे हैं। किसानों को ब्याज भी दिलाना चाहिए था। किसान ऋण लेता है तो उससे ब्याज लिया जाता है। उसके गन्ने का भुगतान देरी से होने पर भी ब्याज मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा की इंटरनेट मीडिया किसानों को बदनाम करने के बाज आए। यह अच्छी बात नहीं है। हमने तो यह कहा था कि मंदिरों से लोग आकर किसानाें के कैंपों में भंडारे लगाएं। लेकिन, उसे घुमाकर इंटरनेट मीडिया के माध्यम से कहा जा रहा है। कहा यह जा रहा है कि ब्रहाम्णों को किसान बुरा भला कह रहे हैं।