बंगला सहायक के लिए परेशान रेलवे अधिकारी, मुख्यालय ने मांगा सुझाव
जरा सी सुविधा हटने पर ही रेलवे अधिकारी शोर मचाने लगते हैं कुछ ऐसा ही हो रहा है बंगला सहायक को लेकर। अधिकारी इसके लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।
मुरादाबाद (प्रदीप चौरसिया)। रेलवे कर्मियों की सुविधा में कटौती करने वाले अधिकारी अपनी सुविधा में कटौती होते ही तेवर बदल लेते हैं। सरकार की ओर से मिलने वाली सहूलियत बरकरार रखने के लिए जोड़-तोड़ करने में जुट जाते हैं। टेलीफोन अटेंडेंट कम डाक खलासी ( बंगला सहायक ) की नियुक्ति पर लगी रोक को हटवाने के लिए उसे कानूनी रूप देने की तैयारी कर रहे हैं। इस मुद्दे पर उत्तर रेलवे मुख्यालय ने रेलवे अधिकारियों से गुरुवार तक सुझाव मांगा है।
कोरोना के चलते आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण रेलवे लगातार खर्च में कटौती कर रहा है। कई पद भी समाप्त किए जा रहे हैं। रेलवे बोर्ड ने पिछले दिनों अधिकारियों को मिलने वाले टेलीफोन अटेंडेंट कम डाक खल्लासी की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। रेलवे में ब्रांच आफिसर से लेकर ऊपर के सभी अधिकारियों के घर पर बंगला सहायक रखने की सुविधा है। तीन साल के बाद बंगला सहायक को रेलवे के अन्य विभाग में स्थायी रूप से तैनात कर दिया जाता है। एक के हटते ही अधिकारी दूसरे कर्मचारी की भर्ती कर लेते हैं। ऐसी सुविधा आइएएस अधिकारी को भी नहीं मिलती है।
इस व्यवस्था के समाप्त होने के बाद रेलवे अधिकारी एकजुट होकर इस सुविधा को बहाल रखने का प्रयास कर रहे हैं। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक (पी) अंजना श्रीवास्तव ने 10 अगस्त को पत्र जारी किया है। इसमें उत्तर रेलवे के सभी अधिकारियों से टेलीफोन अटेंडेंट कम डाक खलासी के पद पर भर्ती कैसे बरकरार रखी जाए, इसके संबंध में गुरुवार तक सुझाव मांगा है। यह पत्र मंडल के सभी अधिकारियों को मिल चुका है। लेकिन कोई भी अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।