एक्शन मोड में रेलवे प्रशासन, काम नहीं करने वाले डॉक्टरों को दिखाएगा बाहर का रास्ता Moradabad news
सिर्फ आफिस में काम करने वाले स्थायी चिकित्सकों की छुट्टी करने की भी तैयारी चल रही है। यह आदेश 31 मार्च तक लागू कर दिया जाएगा।
प्रदीप चौरसिया, मुरादाबाद। रेलवे लापरवाह और आराम पसंद कर्मियों के खिलाफ एक्शन मोड में आ गया है। प्रशासन जल्द ही ऐसे पैरामेडिकल संविदा कर्मियों और डॉक्टरों को बाहर करने जा रहा है जो काम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हैं। रेलवे ने इन्हें अगले वर्ष 31 मार्च तक हटाने की तैयारी कर ली है।
रेलवे अस्पताल में स्टाफ की कमी को दूर करने और बेहतर इलाज के लिए संविदा पर पैरा मेडिकल स्टाफ व चिकित्सक रखे गए थे। इसके बाद भी रेल कर्मियों और उनके परिवार के लोगों का इलाज नहीं हो पा रहा है। उनको इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल में भेजना पड़ता है। रेलवे के काफी चिकित्सक ऐसे हैैं, जो रोगियों के इलाज की बजाय आफिस का काम करते हैैं या रेल कर्मियों को अवकाश देने का प्रमाणपत्र जारी करते हैैं। इन हालातों को देखते हुए रेलवे बोर्ड चिकित्सा सेवा में सुधार करने के लिए संविदा के स्थान पर स्थायी चिकित्सक व पैरामेडिकल की भर्ती करने जा रहा है। रेलवे बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर (एन) द्वितीय एमएम राय ने 24 अक्टूबर को पत्र जारी किया है। इसमें निर्देश हैं कि संविदा पर पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती नहीं करें, 31 मार्च 2020 तक संविदा कर्मियों को हटा दें। साथ ही इलाज नहीं करने वाले डॉक्टरों व 50 वर्ष से अधिक उम्र के चिकित्सकों की भी सूची मांगी है।
महाप्रबंधक की अध्यक्षता में समिति बनाने का आदेश दिया है। यह समिति चिकित्सकों के कार्य व क्षमता का आकलन करेगी। रोगियों का इलाज नहीं करने वाले चिकित्सकों को रिटायर किया जाएगा। रेलवे भर्ती बोर्ड को आदेश दिया है कि 31 मार्च तक सभी रिक्त पदों पर पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती कर लें। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि बोर्ड के आदेश के बाद संबंधित विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है।