निजी चिकित्सक नहीं तैयार कर रहे हैं टीबी मरीजों का डाटा, विभाग कर रहा है निगरानी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीबी रोग को खत्म करने के लिए मिशन 2025 का लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकारी क्षय रोग केंद्रों पर तो मरीज का डाटा इकट्ठा किया जा रहा है लेकिन टीबी का इलाज कर रहे निजी डॉक्टर मरीजों का डाटा नहीं बना रहे हैं।
जेएनएन, मुरादाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीबी रोग को खत्म करने के लिए मिशन 2025 का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट है। सरकारी क्षय रोग केंद्रों पर तो मरीज का डाटा इकट्ठा किया जा रहा है लेकिन, टीबी का इलाज कर रहे निजी डॉक्टर मरीजों का डाटा नहीं बना रहे हैं। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। जानकारी नहीं देने वाले डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग के रडार पर हैं।
ऐसे डॉक्टरों की सूची बनानी शुरू कर दी गई है। इसके बाद मरीज भेजकर उनकी रेंडम चेकिंग भी की जाएगी। मौके पर अगर कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिलती है तो स्वास्थ्य विभाग ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का प्रयास है कि वे ज्यादा से ज्यादा टीबी रोगियों की पहचान कर उन्हें इलाज की सुविधा उपलब्ध करा सकें। हालात ये हैं कि निजी डॉक्टरों के डॉटा उपलब्ध नहीं कराने की वजह से विभागीय अधिकारियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार प्रेमी ने बताया कि जिले में चेस्ट फिजिशियन से जानकारी मांगी गई है। इसके साथ ही जिन डाॅक्टरों के क्लीनिक में लापरवाही नजर आएगी। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
मजदूरी करने वाले ज्यादा टीबी से संक्रमित
पीतल दस्तकारी करने वाले लोगों को टीबी का सबसे अधिक खतरा रहता है। इसमें वो कारीगर जो पॉलिश का काम करते हैं। पॉलिश के दौरान निकलने वाली स्याही उनके फेफड़ों पर चिपक जाती है। इस वजह से उनमें टीबी संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। ऐसे कारखानों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच शिविर आयोजित कराने चाहिए। जिससे वो संक्रमित मरीजों का उपचार कर सकें लेकिन ऐसा होता नहीं है।