इंदिरा गांधी की लहर में भी यूपी की इस सीट पर जीत नहीं पाई थी कांग्रेस, पढ़ें पहली महिला प्रधानमंत्री बनने की कहानी
Prime Minister Indira Gandhi मुरादाबाद मंडल की सीटों पर कोई भी चुनाव हो वो हमेशा रोचक ही रहता है। बात उस समय की है जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्रीं थी। उस समय उनकी लहर चल रही थी। इसके बाद भी कांग्रेस मुरादाबाद में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी।
मुरादाबाद, जेएनएन। Prime Minister Indira Gandhi : मुरादाबाद मंडल की सीटों पर कोई भी चुनाव हो वो हमेशा रोचक ही रहता है। यहां के मतदाता हमेशा चौंकाने वाले परिणाम ही देते हैं। फिर चाहे लहर किसी भी की क्यों न चल रही हो। उदाहरण के लिए हम बात करेंगे साठ के दशक के चुनाव की। उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी। 1966 में वह पहली बार आज की तारीख यानी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री बनीं थी। उस समय उनकी लहर चल रही थी।
यह लहर 1971 तक काफी तेजी से चली लेकिन, इसमें भी मुरादाबाद के मतदाताओं ने कांग्रेस को हार का मुंह दिखाया था। 1967 और 71 के चुनाव के बाद में प्रधानमंत्री तो इंदिरा गांधी ही बनीं, पर मुरादाबाद में कांग्रेस सफल नहीं हो सकी। जनसंघ, कम्युनिस्ट पार्टी ने दोनों और स्वतंत्र पार्टी ने यहां एक चुनाव में जीत हासिल की। जनसंघ के दीपक चुनाव चिह्न पर ओपीटी पुरुषार्थी 1967 में मुरादाबाद से प्रत्याशी बने और कांग्रेस के एमएस फखरी को शिकस्त दी।
उस समय किसी को अंदाजा नहीं था कि ऐसा उलटफेर होगा। पांचवां चुनाव 1971 में हुआ था, तब जनसंघ ने मुरादाबाद से वीरेंद्र अग्रवाल को उतारा था। वह भी जीतकर संसद पहुंचे थे। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी शमीम अहमद को हराया था। अमरोहा लोकसभा सीट से लेफ्ट ने इशहाक संभली को मैदान में उतारा था। अमरोहा की जनता ने उन्हें भी संसद भेजा। संभली को 67 और 71 दोनों आम चुनाव में जीत हासिल हुई। संभली ने 67 में जनसंघ के आर सिंह को और 71 में चंद्रपाल सिंह को हराया।
इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने की रोचक कहानीः स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री 1966 में बनीं थीं। राजनीतिक दुनिया में आज भी वे पहले की तरह ही चर्चित हैं, चाहे बात आपातकाल की ही क्यों न हो। इंदिरा गांधी पहली बार किस तरह प्रधानमंत्री बनीं उसके पीछे एक रोचक कहानी है। इंदिरा गांधी गुजरात के लाल मोरारजी देसाई को हराकर प्रधानमंत्री बनीं थीं।
प्रधानमंत्री बनने के लिए इंदिरा को उस समय देश के 16 में से 11 राज्यों का समर्थन प्राप्त था। दिलचस्प बात यहां यह थी कि इंदिरा की लड़ाई गुलजारीलाल नंदा और मोरारजी देसाई से थी। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की अचानक मृत्यु के बाद कार्यकारी प्रधानमंत्री बने गुलजारी लाल नंदा ने पद की रेस से अपना नाम वापस लेकर इंदिरा का रास्ता आसान कर दिया था। इसके बाद इंदिरा का सीधा मुकाबला मोराजी देसाई से था।
उस समय पूरा देश यही मानता था कि प्रधानमंत्री पद के लिए इंदिरा के सामने खड़े मोरारजी देसाई को कांग्रेस के 525 सांसदों में से 100 से भी कम सांसदों का समर्थन मिलेगा। लेकिन जब चुनाव हुआ तो आंकड़े काफी चौंकाने वाले सामने आए।मोरारजी देसाई को 169 सांसदों का समर्थन मिला। लेकिन यह आंकड़ा उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के लिए बहुत कम था। इस तरह इंदिरा गांधी 19 जनवरी 1966 को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। मोराजी देसाई ने इंदिरा को शुभकामनाएं प्रेषित कीं।