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Mann ki Baat: पीएम मोदी ने सुनाई दैनिक जागरण में छपी मुरादाबाद के दिव्यांग सलमान के संघर्ष की कहानी

पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में सुनाई दैनिक जागरण में प्रकाशित सलमान के संघर्ष की कहानी। सलमान ने अपने फैक्ट्री में सभी दिव्यांगों को ही रोजगार दिया है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 01:48 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 04:52 PM (IST)
Mann ki Baat: पीएम मोदी ने सुनाई दैनिक जागरण में छपी मुरादाबाद के दिव्यांग सलमान के संघर्ष की कहानी
Mann ki Baat: पीएम मोदी ने सुनाई दैनिक जागरण में छपी मुरादाबाद के दिव्यांग सलमान के संघर्ष की कहानी

मुरादाबाद, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में रविवार को मुरादाबाद के हमीरपुर गांव में रहने वाले दिव्यांग सलमान की कहानी भी साझा की। यह कहानी आठ फरवरी को दैनिक जागरण के सरोकार अभियान के तहत देश भर में प्रकाशित हुई थी।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैंने मीडिया में एक ऐसी कहानी पढ़ी, जिसे मैं आपसे जरूर साझा करना चाहता हूं। ये कहानी है मुरादाबाद के हमीरपुर गांव में रहने वाले सलमान की। सलमान दोनों पैरों से दिव्यांग हैं लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 

उन्होंने अपने कुछ दिव्यांग साथियों के चप्पल और डिटर्जेन्ट का काम शुरू किया और आज 30 दिव्यांग साथियों को रोजगार दे रहे हैं। उन्होंने इस साल 100 लोगों को रोजगार देने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री ने सलमान के इस प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

ये थी दैनिक जागरण की खबर

एक-दूसरे की राह आसान बनाना ही इनका टारगेट

मोहसिन पाशा, मुरादाबाद। नौकरी की तलाश की, कोटे से भी नहीं मिल सकी तो खुद ही नौकरी देने की ठानी और खोल दी फैक्ट्री। दोनों पैरों से दिव्यांग सलमान ने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया और अपने जैसे दूसरे लोगों का सहारा बन गया। आज 30 दिव्यागों को रोजगार दे रहा है। इस साल 100 का टारगेट है।

मुरादाबाद, उप्र निवासी दिव्यांग युवक सलमान ने सशक्त होकर दूसरे दिव्यांगों को सशक्त करने का बीड़ा उठाया है। जिला मुख्यालय से काशीपुर हाईवे पर करीब 22 किमी दूर मौजूद गांव हमीरपुर में रहने वाले सलमान जन्म से दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए कई साल तक कोशिश करते रहेे, सफलता नहीं मिली तो हार नहीं मानी। पिछले साल दिसंबर में नौकरी की आस छोड़कर खुद काम करने और अपनी तरह के लोगों को रोजगार देने की ठान ली। इसके लिए उन्होंने अपने गांव में पांच लाख रुपये लगाकर किराए के मकान में टारगेट नाम से कंपनी खोली। चप्पल और डिटर्जेंट बनाने का काम शुरू कर दिया। छह महीने पहले से सलमान ने मार्केटिंग शुरू की। अब उनका कारोबार साथियों का वेतन निकालकर लाभ में पहुंच गया है। उनके कारखाने में अब तक 30 दिव्यांग रोजगार से जुड़ गए हैं। उनको स्वरोजगार भी सिखाया जा रहा है, ताकि खुद आत्मनिर्भर हो सकें।

उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक, सब दिव्यांगों के हवाले 

दिव्यांग सलमान के कारखाने में 15 दिव्यांग एक शिफ्ट में काम में लगते हैैं। दिन भर में यह टीम 150 जोड़ी से ज्यादा चप्पलें तैयार कर देती हैै। मार्केटिंग में 15 से अधिक दिव्यांग रोजाना छह हजार रुपये तक का माल बेच देते हैं। कारखाने में तैयार माल दिव्यांगों को मार्केटिंग के लिए दिया जाता है। वे गांवों में डोर-टू डोर जाकर चप्पलों और डिटर्जेंट की बिक्री करके बतौर कमीशन प्रति व्यक्ति 500 रुपये तक कमा लेते हैं। सलमान ने इस साल करीब 100 दिव्यांगों को इस साल रोजगार देने का संकल्प लिया है। 50 से ज्यादा आवेदन अभी तक आ चुके हैैं। 

 

 इनके लिए धर्म और जाति कोई मायने नहीं रखती...

सलमान के इस मिशन में धर्म और जाति कोई मायने नहीं रखती। यहां तो सभी का धर्म इंसानियत है। जामा मस्जिद निवासी सईम बेग, पीतलनगरी के सन्नूू के अलावा मुजस्सिर अली और दीपक कुमार उनके सबसे बड़े सहयोगी हैैं। सलमान अब फर्म के नियम ऐसे बनाने जा रहे हैैं कि यहां काम करने वाला हर व्यक्ति शेयर होल्डर होगा। कुछ जिम्मेदार लोगों को कंपनी वेतन दिया करेगी। आगामी दिनों में कुछ अन्य उत्पाद भी बनाने की तैयारी है।

क्या कहते हैं सलमान

हमारी फैक्ट्री में तैयार चप्पल 100 रुपये तक बिक रही है। मंडल के अलावा बरेली के कुछ दिव्यांग भाई भी हमसे माल खरीदकर डोर-टू डोर बेच रहे हैैं। हमने दिव्यांगों की एक संस्था के बैनर तले सोशल मीडिया पर अपने काम को शेयर किया। इस काम को बड़े स्तर पर करेंगे। पूंजी कम है। इसके लिए हमने बैंक लोन के लिए आवेदन किया है।

-सलमान, संस्थापक, टारगेट फैक्ट्री, मुरादाबाद


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