अमृतसर में हुए रेल हादसे से भी सबक नहीं ले रहे लोग
रामपुर में लोग नियमों की अनदेखी कर पैदल रेल ट्रैक पार करते हैं।
मुरादाबाद। अमृतसर में हुए रेल हादसे से भी सबक नहीं ले रहे लोग। रामपुर में लोग नियमों की अनदेखी और जान जोखिम में डालकर रेलवे स्टेशन और सिविल लाइंस पुल के बीच ट्रैक पार करते है। रेलवे ने लोगों की सुरक्षा के लिए सिविल लाइंस ज्वालानगर को जोड़ने के लिए ओवर ब्रिज का निर्माण भी करा दिया है, लेकिन पैदल आने-जाने वाले लोग रेलवे ट्रैक पर होकर ही निकलते हैं।
रेलवे ट्रैक पार कर अपनी जिंदगी से कर रहे खिलवाड़ रेलवे स्टेशन रामपुर और सिविल लाइंस पुल के बीच ट्रैक पार करते समय कई हादसे भी हो चुके हैं। हालांकि इस पुल के नीचे से पैदल या वाहन सहित रेलवे लाइन पार करना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा करने पर रेलवे एक्ट की धारा 147 के अंतर्गत दंडनीय अपराध हैं। इसके बाद भी लोग बाज नहीं आ रहे। रेल लाइन के दोनों तरफ दीवार भी बना दी गई है फिर भी लोगों ने दीवारों के किनारे से रेल लाइन पार करने का रास्ता बना लिया है। स्टेशन अधीक्षक का कहना है कि डाउन लाइन पर मोड़ होने के कारण यहां पर हर समय खतरा बना रहता है। पैदल यात्री को सर्तक करने के लिए एक बोर्ड भी लगा गया है, फिर भी पैदल आने-जाने वाले लोग इसको गंभीरता से नहीं लेते।
तीन साल में हो चुकीं हैं 56 मौतें
आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन साल में यहां 56 मौतें हो चुकी हैं, जिसमें साल 2016 में 24 लोग ट्रेनों की चपेट में आए जिनमें 22 लोगों की मौत हो गई और दो लोग घायल हो गए। साल 2017 में 27 लोग ट्रेन की चपेट में आए 24 लोगों की जान चली गई और तीन लोग घायल हो गए। इसी साल 2018 अप्रैल तक 10 लोगों की लापरवाही के चलते ट्रेन से कटकर मौत हो गई। इन हादसों मे लोग ट्रेन से गिरकर एवं रेलवे लाइन पार करते हुए मारे गए। घुमावदार पटरी पर दूर से नहीं दिखती ट्रेन
सिविल लाइन पुल और ज्वालानगर को आने जाने बाले लोगों की संख्या हजारों में रहती है। डाउन लाइन घुमावदार मोड़ होने के कारण कई बार लोगों को मुरादाबाद से आने वाली ट्रेन दिखाई नहीं देती और ट्रैक पार करते समय लोग हादसे का शिकार हो जाते हैं। हालांकि रेलवे ने साइन बोर्ड भी लगा रखा है लेकिन इस बोर्ड की तरफ कोई ध्यान नहीं देता। रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण
रेलवे नियम के तहत ट्रैक के दोनों तरफ 60 फीट तक रेलवे की सुरक्षित जमीन होती है, मगर रेल लाइन के इर्द-गिर्द प्रतिबंधित क्षेत्र होने के बावजूद सुबह होते ही दर्जनों दुकानें लग जाती हैं। इस बारे में विभाग द्वारा अभी तक अभियान चलाकर कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसी का नतीजा है कि अस्थाई दुकानों की संख्या घटने के बजाय बढ़ती जा रही है।