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कोरोना महामारी में अफसर बांटते रहे भोजन, कंप्‍यूटर ऑपरेटर फाइलों को लगाते रहे ठिकाने

दस माह के बैनामों का रिकार्ड खंगाल रहे अफसर। अब तक 14 फाइलों में मिले फर्जी हस्ताक्षर। मामले में मुकदमे की तैयारी।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 08:55 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 08:55 AM (IST)
कोरोना महामारी में अफसर बांटते रहे भोजन, कंप्‍यूटर ऑपरेटर फाइलों को लगाते रहे ठिकाने
कोरोना महामारी में अफसर बांटते रहे भोजन, कंप्‍यूटर ऑपरेटर फाइलों को लगाते रहे ठिकाने

मुरादाबाद, जेएनएन। कोरोना महामारी का दुष्प्रभाव सरकारी काम-काज पर पड़ा है। अफसर लॉकडाउन में जनता को भोजन और पानी पहुंचाने में व्यस्त थे तो उनकी गैरमौजूदगी का फायदा उठाते हुए कम्प्यूटर ऑपरेटर ने स्वयं अफसर बनकर फाइलों को ठिकाने लगाने का काम करते रहे। सदर तहसील में मार्च और अप्रैल में तहसीलदार न्यायिक के कार्यालय में लंबित 50 से अधिक फाइलों के अमल दरामद करने की शिकायत जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह से की गई थी। इस मामले की गोपनीय जांच कराई गई।

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अफसरों के लाख छिपाने के बाद भी यह मामला सबके सामने आ गया। सदर तहसील में तैनात दो कम्प्यूटर ऑपरेटरों ने करोड़ों रुपये के जमीनों से संबंधित बैनामे अमल दरामद करने के साथ ही दाखिल खारिज करने का काम किया है। हालांकि, इस मामले में उच्च अधिकारी अभी जांच की बात कहकर मामले को टालने में जुटे हैं। तहसील के दूसरे अधिकारियों ने बताया कि अभी तक की जांच में लगभग 14 ऐसी फाइलें मिली है, जिनमें तहसीलदार के हस्ताक्षर संदिग्ध पाए गए हैं। इन हस्ताक्षरों के संदिग्ध मिलने के बाद पूरे दस माह का रिकार्ड खंगालने का निर्णय लिया गया है। अभिलेखागार में रखी प्रत्येक फाइल की गहराई से जांच की जा रही है, ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि आखिर कुल कितनी फाइलों में तहसीलदार न्यायिक के फर्जी हस्ताक्षर करके उन्हें अमल दरामद किया गया है। इस मामले के पकड़ में आने के बाद दोनों कम्प्यूटर ऑपरेटरों को न्यायालय से हटा दिया गया था, जिसमें एक कम्प्यूटर ऑपरेटर अभी भी गायब चल रहा है।आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी हो रही है।

तहसीलदार स्वयं कर रहे अपने हस्ताक्षर की पुष्टि

सदर तहसीलदार नितिन तेवतिया स्वयं फाइलों की जांच कर रहे हैं। इस दौरान वह प्रत्येक फाइल का स्वयं निरीक्षण करके हस्ताक्षर की पुष्टि करने का काम कर रहे हैं। हालांकि, जिस तरह से उनके हस्ताक्षरों की कॉपी की गई है, उसे देखकर वह स्वयं भी हैरान है।

अमल दरामद की कुछ फाइलों में फर्जी हस्ताक्षर होने की पुष्टि हो चुकी है। अभी दूसरी फाइलों की जांच की जा रही है। जांच में मार्च और अप्रैल की फाइलों में फर्जी हस्ताक्षर मिले है। जांच के साथ ही आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं।

हिमांशु वर्मा, उपजिलाधिकारी, सदर तहसील


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