मुरादाबाद में आठ हजार के करीब पहुंची कोरोना संक्रमितों की संख्या, हौसले से हार रहा कोरोना
Moradabad corona virusnews फिजिशियन और रेडियोलॉजिस्ट निगेटिव होने के बाद काम पर वाप। हौसले और देखभाल से कोरोना वायरस को दी मात।
मुरादाबाद, जेएनएन। कोरोना काे हराना है। इसका एक मात्र यही इलाज है कि आप शारीरिक दूरी के नियम का पालन करें और मास्क लगाए बिना घर से बाहर नहीं निकलें। इसके अलावा दूसरा रास्ता नहीं है केंद्र, राज्य सरकार के साथ स्वास्थ्य विभाग ने बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया लेकिन, उसका असर लोगों पर नहीं पड़ा।
जिले में अब संक्रमितों का आंकड़ा छह हजार 763 के पार पहुंच गया है। इससे ठीक होकर लोगों को हौसला देने वालों की भी कमी नहीं है। डॉक्टर निगेटिव होने के बाद समाज की सेवा में जुट चुके हैं। जिला अस्पताल में फिजिशियन डॉ एनके मिश्रा 18 जुलाई को ओपीडी में मरीजों का परीक्षण करने की वजह से संक्रमित हो गए थे। बुखार आने पर उनका लेकर ट्रूनेट से जांच कराई गई। पॉजिटिव आने पर उन्हें महिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में आइसोलेट कर दिया गया था। इसके बाद भी वो फोन पर जूनियर डॉक्टरों को निर्देश देकर मरीजों का उपचार कराते रहे। 30 जुलाई को निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद उन्होंने 14 अगस्त को दोबारा डयूटी ज्वाइन की। इसके बाद से वो लगातार अस्पताल में मरीजों का उपचार कर रहे हैं। मरीजों को बताते हैंं कि भले ही आप किसी तरह संक्रमित हो गए हैं लेकिन, समय से जांच कराने के बाद आप अगर पॉजिटिव आ भी गए तो घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ नियमों का पालन करने भर से आप कोरोना को मात दे देंगे। हौसला बहुत जरूरी है। कोरोना होने का मतलब ये बिलकुल नहीं है कि आपकी मौत हो जाएगी। जिले में अब तक मरने वालों में ज्यादा वो लोग हैं जो सांस लेने पर ही अस्पताल पहुंचे। उनका आूक्सीजन स्तर कम हो गया। इसके बाद उन्हें वेंटीलेटर पर जाना पड़ा। समय से पता चल जाता तो भगवान उनकी जान बचा देता। इसलिए कोरोना की जांच कराने में कोताही न बरतें। वहीं रेडियोलॉजिस्ट डॉ निर्मल ओझा भी अस्पताल से डिस्चार्ज होकर काम कर रहे हैं। उन्हें रेडियोलाूॅजी विभाग में शारीरिक दूरी के नियम के लिए रस्सियां बंधवा दी हैं।
हड्डी रोग विशेषज्ञ ने दी कोरोना को मात
जिला अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ शेर सिंह कक्कड़ और उनके बड़े बेटे ने भी कोरोना को मात दे दी है। एक सप्ताह से वो महिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में भर्ती थे। 22 मार्च के बाद से ही उनकी डयूटी कोरोना प्रशिक्षक के तौर पर लगी हुई थी। उन्होंने अस्पतालों के डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और सभी कर्मचारियों को लगातार प्रशिक्षण दिया। कोरोना के प्रोटोकाल के बारे में तमाम तरह की जानकारियां उपलब्ध कराई। आइसोलेशन के दौरान भी वो फोन पर लोगों को कोरोना से बचाव के साथ ही काम करने के बारे में बताते रहे। कुछ दिन के होम आइसोलेशन के बाद वो फिर से मरीजों का उपचार करेंगे। उनका कहना है कि कोरोना से डरने की नहीं बल्कि उसे दूर रखने की जरूरत है। सामने वाले हर व्यक्ति को संक्रमित मानकर दो गज की शारीरिक दूरी के नियम का पालन करें। अस्पताल या भीड़ वाले स्थानों पर मास्क लगाकर जाएं।
जिला अस्पताल के डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ समेत हर कर्मचारी ने अपनी परवाह किए बिना समाज की सेवा की और कर रहे हैं। लोगों को जागरुक कर रहे हैं। बुखार आने पर फौरन डॉक्टर को दिखाएं। कोरोना संक्रमित हो गए तो कोई बात नहीं। हौसला बनाए रखिये। मात देने का मन में हौसला होगा तो आप खुद भी सुरक्षित रहेंगे और आपका परिवार भी सुरक्षित रहेगा। कोरोना से उन लोगों की मौत हो रही है, जो गंभीर हालत में अस्पताल पहुंच रहे हैं।
डॉ राजेंद्र कुमार, चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल