रामपुर में बने दो सौ करोड़ के पुल पर नहीं चलता कोई वाहन, वजह आपको भी कर देगी हैरान
आरोपों की जांच-पड़ताल हुई लेकिन पुल पर निर्माण कार्य जारी रहा और पूरा होने के बाद इसका उदघाटन भी हो गया दो साल बाद भी इस पुल पर कोई वाहन नहीं चल रहा है।
रामपुर (मुस्लेमीन)। प्रदेश में ऐसे अनेक रेलवे क्रासिंग और नदियां हैं, जहां पुल की जरूरत है। लेकिन, पुल नहीं बन पा रहे हैं। रामपुर में ही कोसी नदी पर लालपुर पुल और मिलक में रेलवे क्रॉ¨सग पर ओवरब्रिज नहीं बन पा रहा है, जिससे लाखों लोग परेशान हैं, लेकिन रामपुर में एक ऐसा अनोखा पुल बना है, जिसकी लंबाई पांच किलोमीटर है और खेतों में बना है। इसके निर्माण पर करीब दो सौ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, लेकिन इस पर कोई वाहन नहीं चलता है।
एकता तिराहे से जौहर यूनिवर्सिटी तक बने इस पुल के आसपास न तो घनी आबादी है और न ही रेलवे क्रॉ¨सग। करीब दो साल पहले उसका उद्घाटन भी हो चुका है। इसके आगे दो किलोमीटर रास्ता खराब है, जो ठीक नहीं हो पा रहा है। पुल जौहर यूनिवर्सिटी के पिछले गेट तक बना है, लेकिन गेट को भी दीवार खड़ी कर बंद कर दिया गया है। इस कारण इस पुल का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। बिना जरूरत खेतों में पुल बनाने पर मुख्यमंत्री से शिकायत भी की गई है, जिसकी स्थानीय स्तर पर जांच पड़ताल भी हुई और एसआइटी ने भी जांच की है। यह पुल सपा शासनकाल में वर्ष 2013 में मंजूर हुआ था, जिस पर तेजी से कार्य हुआ, लेकिन निर्माण कार्य 90 फीसदी ही पूरा हो सका था कि सरकार बदल गई। इसके बाद बचा हुआ 10 फीसदी कार्य भाजपा के शासनकाल में हुआ। हालांकि इस पुल को लेकर सत्ता बदलते ही शिकायतें भी शुरू हो गई थीं। भारतीय जनता पार्टी लघु उद्योग प्रकोष्ठ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयोजक आकाश सक्सेना हनी और पूर्व मंत्री हाजी निसार हुसैन के पुत्र मुस्तफा हुसैन ने मुख्यमंत्री से शिकायत की, जिसमें कहा कि इस पुल की कोई उपयोगिता नहीं है। आजम खां ने अपने स्वार्थ के लिए खेतों में पुल बनवाया है।
दरअसल यह पुल आबादी से दूर है। भाजपा नेता आकाश सक्सेना का कहना है कि सरकारी धन का पूरी तरह दुरुपयोग किया गया है। आजम खां ने अपनी प्राइवेट यूनिवर्सिटी के लिए पुल बनवाया। इस पर खर्च हुए 200 करोड़ की उनसे वसूली होनी चाहिए।
औचित्यहीन है पुल का निर्माण
जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह का कहना है कि खेतों में पुल का निर्माण कराए जाने का कोई औचित्य नहीं है। हमने इस मामले में मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में बनी नौ अधिकारियों की टीम से जांच कराई। तब टीम ने इसके निर्माण को औचित्यहीन बताया। शासन को रिपोर्ट दी जा चुकी है। एसआइटी ने भी इस मामले की जांच की है। मामला शासन के संज्ञान में है। सरकार जो भी आदेश देगी उसका अनुपालन कराया जाएगा। इस पुल के निर्माण पर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।