Coronavirus Control : कोरोना वायरस को निष्प्रभावी बनाएगा एमएचएससी का नया स्प्रे, जानिए कैसे करेगा काम
Coronavirus Control वस्त्र मंत्रालय की संस्था मेटल हैंडीक्राफ्ट सर्विस सेंटर ने की है पहल। 15 जून तक निर्यातकों के लिए हो सकेगा उपलब्ध। हालांकि आम आदमी को अभी करना होगा इंतजार।
मुरादाबाद (तरुण पाराशर)। देश भर में थमी औद्योगिक गतिविधियां अब रफ्तार पकड़ रही हैं। लेकिन, लोगों में कोरोना का डर बैठा हुआ है। यही कारण है कि अभी अति आवश्यक वस्तुओं के अलावा अन्य उत्पादों की मांग बेहद कम है। यह उद्यमियों के लिए चिंता का विषय है। दूसरी ओर, मुरादाबाद से निर्यात होने वाले हैंडीक्राफ्ट के उत्पाद को लेकर आयातक देश के क्रेता उसके कोरोना वायरस से फ्री होने की गारंटी भी मांग रहे हैंं। ऐसे में मेटल हैंडीक्राफ्ट्स सर्विस सेंटर (एमएचएससी) की रिसर्च, टेस्टिंग एंड कैलीब्रेशन लेबोरेटरी ने ऐसा केमिकल (सुरक्षा-24)तैयार करने का दावा किया है, जिसके स्प्रे से कोरोना वायरस निष्प्रभावी हो जाएगा। बताया जा रहा है कि यह क्लोरीन फ्री आर्गेनिक साल्वेंट है।
सैनिटाइजेशन में प्रयोग होने वाले सोडियम हाइपोक्लोराइड की तरह यह रसायन क्लोराइड ग्रुप से भी नहीं है। इससे वायरस के निष्प्रभावी होने की की पुष्टि हो चुकी है। विभिन्न प्रकार की धातुओं से बने प्रोडक्ट की चमक, इलेक्ट्रोपेंटिंग, फिनिशिंग पर पडऩे वाले प्रभाव का नतीजा भी संतोषजनक आया है। चूंकि धातु के कई प्रकार हैं इसलिए कुछ धातुओं पर अभी टेस्टिंग अंतिम चरण में है। जिन धातुओं पर नतीजा संतोषजनक आया है, उनके लिए 15 जून तक यह रसायन निर्यातकों को उपलब्ध करा दिया जाएगा। अभी इसकी कीमत तय होनी बाकी है।
ऐसे तैयार हुआ प्रोडक्ट
लॉकडाउन-3 में उद्योगों को काम करने की छूट मिलने लगी। मुरादाबाद के निर्यातकों ने भी अपने अधूरे पड़े आर्डर को पूरा करने के बाद भेजना शुरू कर दिया। इसी बीच यूरोप के खरीदारों ने भारत से बनकर जाने वाले उत्पाद पर कोरोना फ्री नहीं होने की बात उठाई। इसे देखते हुए एमएचएससी ने कोरोना को निष्प्रभावी करने वाला केमिकल तैयार करने की योजना बनाई। शोध संस्था के महाप्रबंधकडॉ. रवींद्र शर्मा ने बताया कि इसके लिए केमिकल मैन्यूफेक्चङ्क्षरग कंपनी के साथ मिलकर स्प्रे तैयार किया गया है। प्रयोगशाला में इसका परीक्षण संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए वस्तुओं पर करके भी देखा गया था।
बीस बार तक नहीं होता संक्रमण का प्रभाव
डॉ. रवींद्र शर्मा बताते हैं कि यह स्प्रे एक बार प्रयोग करने के बाद लंबे समय तक काम करता रहेगा। अगर प्रोडक्ट को उस स्थान पर रख दिया जाता है, जहां वायरस होने की संभावना हो, तो वह इस पर चिपक नहीं सकता। किसी संक्रमित व्यक्ति के हाथ से भी होकर गुजरता है तो वायरस प्रभावकारी नहीं रह सकेगा। बीस बार टच करने का प्रतिरोध इस केमिकल की चेन करता है। वायरस के संपर्क में आने से उसके रासायनिक संगठक में बदलाव आता जाता है। सैनिटाइजर और इसमें अंतर यह है कि सैनिटाइजर से सामान की चमक भी जा सकती है। उसका प्रभाव भी कम देर के लिए रहता है। उससे धब्बे भी पड़ जाते हैं। इससे वह सब नहीं होता।
एमएचएससी पहले भी कर चुका निर्यातकों की समस्या का समाधान
रवींद्र शर्मा बताते हैं कि पिछले पांच साल में कई बार यूरोपियन देशों ने भारत के हस्तशिल्प उत्पाद में कई प्रकार की तकनीकी और बैक्टीरिया संबंधी खामियां निकाली हैं। यूरोप ने छह साल पहले भी भारत में बनने वाली मेटल हैंडीक्राफ्ट आइटम में लेड, क्रोमियम, मरकरी सहित अन्य कैंसर कारक धातुओं के मिक्स होने की बात कहकर आर्डर कैंसिल करना शुरू कर दिए थे। तब निर्माण से पूर्व धातु में इन तत्वों के होने की पुष्टि करने वाली जांच की विधि तैयार की थी। इसके बाद कोबाल्ट रेडिएशन का मुद्दा उठा तो भाभा रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर जांच की तकनीक उनके संस्थान ने तैयार की। फिर तीन साल पहले उठे रीच (लकड़ी के उत्पाद में एक वायरस)की समस्या के लिए बैैक्टीरिया नाशक केमिकल और कोटिंग लेयर तैयार की थी। नया प्रयोग कोविड-19 की नई चुनौती को लेकर है।
अभी हमारी चिंता निर्यातकों के प्रोडक्ट को सुरक्षित बनाने पर है, इसलिए आम आदमी के प्रयोग के लिए इस केमिकल को उपलब्ध कराने के लिए सोचा नहीं गया है। हमारी संस्था प्रमाणन का कार्य भी करेगी, जिसमें स्प्रे के बाद कोविड-19 फ्री होने की गारंटी दी जाएगी।
रवींद्र शर्मा, महाप्रबंधक एमएचएससी