चार घंटे तक न्यायिक हिरासत में रहे नगीना सांसद गिरीशचंद्र, जानिए क्या है मामला Sambhal News
सांसद को 25 हजार के निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। अब अगली तारीख इस मामले में कोर्ट ने 21 दिसंबर लगाई है।
सम्भल, जेएनएन। आचार संहिता उल्लंघन के मामले में वारंट जारी होने पर अदालत पहुंचे नगीना सांसद गिरीशचंद्र को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। चार घंटे तक तक वे हिरासत में रहे। बाद में उन्हें 25 हजार के निजी मुचलकें पर छोड़ दिया गया।
यह है मामला
सांसद के खिलाफ वर्ष 2011 में एसडीएम विनय कुमार ने आचार संहिता के उल्लंघन में मुकदमा दर्ज कराया था। तब चन्दौसी विधानसभा क्षेत्र से गिरीशचंद्र चुनाव लड़ रहे थे। इन्होंने बिना अनुमति व जिले में धारा 144 लागू होने के बाद भी जनेटा गांव में जुलूस निकाला था। इसके बाद एसडीएम विनय कुमार ने गिरीशचंद्र के खिलाफ बनियाठेर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। 15 नवंबर-19 को अपर जिला जज चन्दौसी ने सांसद गिरीशचंद्र के खिलाफ वारंट जारी किए।
गुरुवार को कोर्ट में हुए पेश
वारंट जारी होने के बाद गुरुवार को सांसद कोर्ट में पेश हुए तो अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में लेने के आदेश दिए। करीब चार घंटे तक सांसद न्यायिक हिरासत में रहे।
सांसद ने ब्लाक शिक्षा एवं प्रशिक्षण केंद्र का मुद्दा उठाया
अमरोहा: सांसद कुंवर दानिश अली ने संसद के शीत सत्र में केंद्र सरकार द्वारा डायट की तर्ज पर शुरू किए गए बायट (ब्लाक स्तरीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण केंद्र) को पूर्ण रूप से स्थापित करने के लिए धनराशि अवमुक्त न किए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति व अल्पसंख्यक शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए यह केंद्र स्थापित किए जाने थे लेकिन, केंद्र सरकार से धनराशि अवमुक्त न होने के कारण इस योजना पर अमल नहीं हो पा रहा है।
गुरुवार को सांसद कुंवर दानिश अली संसद में प्रदेश की शिक्षा से जुड़े अहम मुद्दे पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अमरोहा जनपद के हसनपुर ब्लाक में यह केंद्र स्थापित होना था। जमीन भी मिल गई लेकिन, अभी तक केंद्र सरकार से केवल एक ही किश्त जारी गई है। शेष धनराशि अवमुक्त न होने से केंद्र की स्थापना नहीं हो रही है। सांसद ने आरोप लगाते कहा कि यही स्थिति प्रदेश के अन्य ब्लाक की भी है। केंद्र व प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति व अल्पसंख्यकों के साथ शिक्षा को लेकर भेदभाव बरत रही है। उन्होंने सदन में मांग करते हुए कहा कि शीघ्र ही धनराशि अवमुक्त करा कर केंद्रों का संचालन सुचारू किया जाए।