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Muharram 2021 : मुरादाबाद में मुहर्रम पर कर्बला में सीनाजनी कर गम का इजहार, ताजियों का हुआ दीदार

Muharram 2021 दस मुहर्रम इस्लाम की तारीख में सबसे बड़ा गम का दिन। हजरत मुहम्मद साहब के नवासे की शहादत को लेकर हर दिल गमजदा रहा। इमामबाड़ों में मजलिसें हुई। अजादारों ने सीनाजनी कर गम का इजहार किया। इसके साथ या हुसैन हक हुसैन की सदाएं बुलंद हो गई।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sat, 21 Aug 2021 04:32 PM (IST)Updated: Sat, 21 Aug 2021 04:32 PM (IST)
Muharram 2021 : मुरादाबाद में मुहर्रम पर कर्बला में सीनाजनी कर गम का इजहार, ताजियों का हुआ दीदार
मजलिसों ने नवासा ए रसूल की शहादत का जिक्र, अजादारों ने सीनाजनी कर किया गम का इजहार।

मुरादाबाद, जेएनएन। Muharram 2021 : दस मुहर्रम, इस्लाम की तारीख में सबसे बड़ा गम का दिन। हजरत मुहम्मद साहब के नवासे की शहादत को लेकर हर दिल गमजदा रहा। इमामबाड़ों में मजलिसें हुई। अजादारों ने सीनाजनी कर गम का इजहार किया। उलमा ने कर्बला के मैदान में यजीद द्वारा ढहाए गए जुल्मों सितम की दास्ता बयां की तो अजादारों की आंखें नम हो गईं। इसके साथ ही या हुसैन हक हुसैन की सदाएं बुलंद हो गई।

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उलमा ने बताया कि इतनी अजीम शहादत आज तक न किसी की हुई है और न होगी। दीन के लिए नवासा ए रसूल ने अपना पूरा परिवार कुर्बान कर दिया। नए साल का पहला महीना शहादत का है। उलमा ने बताया कि पांच वक्त की नमाज अदा करें। जरूरतमंदों की मदद करें। सच का साथ दें। अल्लाह को राजी करें। किसी का दिल न दुखाएं। इमामबाड़ा वक्फ मीर सआदत अली, इमामबाड़ा कुली खां, इमामबाड़ा हकीम फरजंद अली समेत अन्य स्थानों पर मजलिसें हुईं। वहीं दोपहर बाद कर्बला में शारीरिक दूरी के पालन के साथ अजादारों ने सीनाजनी की। इसमें मुहम्मद अब्बास, शाहनवाज सिब्तैन नकवी, अली यावर, तौसीफ रजा आदि रहे।

बातिल यजीद के आगे इमाम हुसैन ने नहीं झुकाया सिर : शुक्रवार को मरकजी जमीयत अहले सुन्नत की ओर से दसवें रोज ज़िक्रे शहादत कर्बला लाल मस्जिद में हुआ। इसमें मुफ्ती मुहम्मद दानिश कादरी ने कर्बला पर बयान किया। उन्होंने बताया कि दुनिया में सबसे बड़ी सब्र की मिसाल देखनी हो तो हजरत इमाम हुसैन को देखो 19 साल के अली अकबर, 18 साल के हजरत कासिम और छह माह के अली असगर की लाशें सामने पड़ी है, मगर जबान पर शिकवा नहीं है।

इतना कुछ सहने के बाद खेमो में आग लगती हुई देखने के बावजूद इमामे हुसैन शुजात के साथ दुश्मनों के सामने डटे हुए हैं। हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला के ज़रिये पूरी दुनिया को ये पैगाम दिया कि सर दिया जा सकता है मगर बातिल के आगे झुकाया नहीं जा सकता। पूरी दुनिया में अगर अमन, मुहब्बत के लिए अगर चंद लोगों को अपनी कुर्बानी देनी पड़े तो दे देनी चाहिए। आज इमामे हुसैन के नारे पूरी दुनिया में या हुसैन, या हुसैन लगाए जा रहे हैं। यज़ीद का कोई नाम लेने वाला नहीं है। इसमें रिजवान उर रहमान, शुजाअत अशरफी, मुनव्वर अकरमी, तनवीर जमाल उस्मानी, मंसूर उस्मानी, डॉ मुजाहिद फराज रहे।


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