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सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों के मुकदमे में सुनवाई, वकील ने एडीएम कोर्ट के क्षेत्राधिकार पर जताई आपत्ति

Hearing in Jauhar Universitys land sui यूनिवर्सिटी का संचालन मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट करती है। आजम खां इसके अध्यक्ष हैं और ट्रस्ट को सरकार ने 12.50 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी थी।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 05:42 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 05:42 PM (IST)
सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों के मुकदमे में सुनवाई, वकील ने एडीएम कोर्ट के क्षेत्राधिकार पर जताई आपत्ति
सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों के मुकदमे में सुनवाई।

रामपुर, जेएनएन। Hearing in Jauhar University's land sui। सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों के मुकदमे में सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता ने अदालत के क्षेत्राधिकारी पर ही आपत्ति जता दी। कहा कि अपर जिलाधिकारी की अदालत को यह मुकदमा सुनने का अधिकार नहीं है। इसपर अदालत ने सुनवाई के लिए अगली तारीख लगा दी।

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जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों को लेकर शुरू से ही विवाद है। पिछले साल जुलाई माह में जमीनें कब्जाने के आरोप में आजम खां के खिलाफ 30 मुकदमे अजीमनगर थाने में दर्ज कराए गए थे। प्रशासन ने उन्हें भूमाफिया घोषित कर दिया था। ईडी ने भी अपने यहां केस दर्ज किया। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी लघु उद्योग प्रकोष्ठ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयोजक आकाश सक्सेना ने शासन और प्रशासन में शिकायत दर्ज कराई कि यूनिवर्सिटी की जमीने खरीदने के मामले में नियमों का उल्लंघन किया गया है। इस यूनिवर्सिटी का संचालन मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट करती है। आजम खां इसके अध्यक्ष हैं और ट्रस्ट को सरकार ने 12.50 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी थी। यूनिवर्सिटी में गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने और चैरिटी का कार्य करने की बात कही थी। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। इस पर प्रशासन ने जांच-पड़ताल कराई तो आरोप सही पाए गए। इसके बाद अपर जिला अधिकारी प्रशासन जगदंबा प्रसाद की अदालत में मुकदमा दायर किया गया। इस मामले में बुधवार को भी सुनवाई हुई। ट्रस्ट के अधिवक्ता ने कोर्ट के क्षेत्राधिकार पर ही आपत्ति लगा दी। कहा कि इसकी सुनवाई का अधिकार एडीएम कोर्ट को नहीं, बल्कि उप जिलाधिकारी की अदालत को है। जमीन 50 एकड़ से ज्यादा है। इसलिए सिविल कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए। इसपर जिला शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी ने कहा कि जब नोटिस दिया गया था तब क्षेत्राधिकारी की बात होनी चाहिए थी। अब इस मामले में आपत्ति और प्रति आपत्ति भी दाखिल हो चुकी है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपर जिलाधिकारी ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 अक्टूबर निर्धारित कर दी। 


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