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सांसद आजम खां पर तीन और मुकदमों में आरोप तय, वीडियो कांफ्रेंसिंग से सांसद की कोर्ट में हुई पेशी

MP Azam Khan सांसद आजम खां पर रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट में चलने वाले मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को फिर तीन मुकदमों में अदालत ने आरोप तय किए। तीनों मामले वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन में अलग-अलग थानों में दर्ज हुए थे।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Fri, 12 Nov 2021 09:15 PM (IST)Updated: Fri, 12 Nov 2021 09:15 PM (IST)
सांसद आजम खां पर तीन और मुकदमों में आरोप तय, वीडियो कांफ्रेंसिंग से सांसद की कोर्ट में हुई पेशी
MP Azam Khan ने तीनों मामलों में विचारण की मांग की। अदालत अब 23 नवंबर को सुनवाई करेगी।

मुरादाबाद, जेएनएन। MP Azam Khan : सांसद आजम खां पर रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट में चलने वाले मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को फिर तीन मुकदमों में अदालत ने आरोप तय किए। तीनों मामले वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन में अलग-अलग थानों में दर्ज किए गए थे। सुनवाई के दौरान सीतापुर जेल में बंद सांसद की वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेशी कराई गई। एमपी-एलएए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश आलोक दूबे ने उन्हें आरोप पढ़कर सुनाए। सांसद ने तीनों मामलों में विचारण की मांग की। अदालत अब 23 नवंबर को सुनवाई करेगी।

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यह तीनों मुकदमे चुनाव के दौरान सहायक रिटर्निंग बनाए गए अनिल कुमार चौहान की ओर से दर्ज कराए गए थे। अदालत में पहली गवाही उनकी होगी। जिला शासकीय अधिवक्ता अरुण प्रकाश सक्सेना ने बताया कि इनमें एक मुकदमा सात अप्रैल 2019 को शाहबाद कोतवाली में दर्ज हुआ था। इसमें सैफनी में जनसभा के दौरान सांसद पर संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों व अधिकारियों के लिए अपशब्द बोलने, लोगों को भड़काने और ईवीएम मशीन के प्रति लोगों में अधिकारियों की सत्यनिष्ठा को गलत सिद्ध करने का आरोप है। दूसरा मामला नौ अप्रैल 2019 को मिलक कोतवाली में दर्ज किया गया था।

इसमें ग्राम खातानगरिया में जनसभा के दौरान संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों व अधिकारियों के लिए अपशब्द बाेलने, धमकी देने, दंगा भड़काने, वर्ग विशेष से धर्म के नाम पर वोट की अपील करने आदि के आरोप हैं। तीसरा मुकदमा 10 अप्रैल को शहजादनगर थाने में दर्ज किया गया था। इसमें धमोरा में जनसभा के दौरान संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों व अधिकारियों के लिए अनर्गल शब्दों का प्रयोग करना, लोगों को भड़काने, अधिकारियों के प्रति उकसाने, अधिकारियों को डराने-धमकाने, चुनाव आयोग के निर्देशानुसार लगाए गए वीडियोग्राफर को रिकार्डिंग में व्यवधान करना, जनसभा में शांति व्यवस्था को तैनात सुरक्षा बलों एवं पुलिस के खिलाफ लोगों को उकसाने और निर्वाचन आयोग के खिलाफ टिप्पणी करने का आरोप है।


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