तौबा! मुरादाबाद का बसंत विहार बना नरक विहार, हल्की बारिश में सड़कों के गड्ढे बन जा रहे तालाब
Potholes of Roads in Moradabad वार्ड एक में बसंत विहार को नगर निगम अफसरों ने नरक विहार बना दिया है। डा.बरुआ के क्लीनिक से पैरा की मिलक को जाने वाले मुख्य मार्ग में गड्ढे नहीं तालाब जैसी स्थिति हो गई है। डगमगाते वाहनों से हादसे हो रहे हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। Potholes of Roads in Moradabad : वार्ड एक में बसंत विहार को नगर निगम अफसरों ने नरक विहार बना दिया है। डा.बरुआ के क्लीनिक से पैरा की मिलक को जाने वाले मुख्य मार्ग में गड्ढे नहीं तालाब जैसी स्थिति हो गई है। डगमगाते वाहनों के गुजरने से हादसे हो रहे हैं। क्षेत्र के लोगों की मानें तो रोजाना तीन से चार लोग गिरकर चोटिल हो रहे हैं। सात सौ मीटर लंबे रास्ते में एक प्राइमरी स्कूल है और करीब 500 सौ परिवार निवास करते हैं। स्कूल खुलने के बाद बच्चों को इस गड्ढे से होकर गुजरना पड़ता है। तीन साल पहले यह हाटमिक्स सड़क करीब आठ लाख रुपये से बनाई गई थी। दो साल बाद ही यह सड़क गड्ढों में तब्दील हो गई है। हाल ही में नगर निगम ने 15वें वित्त की निधि से 16 करोड़ रुपये के 205 टेंडर निकालें हैं लेकिन, इस सड़क को टेंडर में नहीं लिया गया है। बसंत विहार में करीब 500 परिवार इन गड्ढों से होकर गुजरने को मजबूर हैं। मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी इसकी शिकायत करने के बाद सड़क नहीं बनी है।
पांच साल पहले भी उठाया सड़क का मुद्दाः डा.बरुआ के क्लीनिक से सात गलियां बायीं और चार गलियां दायी ओर हैं। इनका रास्ता बसंत विहार की मुख्य सड़क से ही है। सात सौ मीटर की इस सड़क में करीब छह बड़े गड़ढे हैं। इनमें दो जगह गहरे व चौड़े होने से इनमें जलभराव भी हो गया है। पांच साल पहले बसंत विहार की भीतरी गलियां भी गड्ढों में तब्दील थीं। तब भी क्षेत्र के लोगों ने आवाज उठाई थी। तब जाकर कुछ गलियां बनी थीं।
बसंत विहार की नालियां भी क्षतिग्रस्तः बसंत विहार के मुख्य मार्ग पर नालियां भी क्षतिग्रस्त हैं। साथ ही एक गली की पानी निकासी नहीं होने से सड़क पर पानी भरता है। महिलाएं और बच्चों का निकलना मुश्किल हो रहा है। क्षेत्र की पार्षद ने भी शिकायत के बाद इसकी सुध नहीं ली है।सहायक अध्यापक रीमा गोपाल ने बताया कि मेरा रोजाना इसी रास्ते से स्कूल आना जाना है। स्कूल जल्दी जाने के चक्कर में मेरी स्कूटी कई बार गड्ढों में डगमगा जाती है। मजबूरी में पैर टेकने पर पकड़ भी कीचड़ में खराब होते हैं।
शिक्षक महेंद्र सिंह का कहना कि मैं रोजाना बसंत विहार में ट्यूशन पढ़ाने आता हूं। रात को जब यहां से जाता हूं तो पैदल उतरकर बाइक को साइड से निकालता हूं। अंधेरे गिरने का डर रहता है।महिला निशा का कहना है कि बसंत विहार का रास्ता ही यही है। एक साल से सड़क में गड्ढा देख रहे हैं। पहले कम गहरे गड्ढे थे। लेकिन अब तो ज्यादा गहरे होने से समस्या और बढ़ गई है।मनोज कुमार ने बताया कि बहुत ही संभल कर निकलना पड़ता है। अगर जरा सी लापरवाही की तो उसी दिन बाइक डगमगा जाती है। नगर निगम में पत्र देने पर भी समस्या का समाधान नहीं।
सुनीता का कहना है कि सड़कों के गड्ढों में गिट्टी तक नहीं डाली गई है। कम से गड्ढे में जलभराव व कीचड़ से तो मुक्ति मिल सकती है। लेकिन, नगर निगम अफसर इधर आते तक नहीं।शोभित कुमार ने बताया कि यह समस्या बहुत दिनों से है। हम स्कूल और ट्यूशन पढ़ने जाते हैं तो कई बार गिरे भी हैं। दो दिन पहले एक महिला गड्ढे में बाइक से गिरी तो चोटिल हो गई थी। नगर निगम के मुख्य अभियंता दिनेश चंद्र सचान का कहना है कि क्षेत्रों के जेई से प्रस्ताव मांगे गए हैं। जिन सड़कों को हाल में निकाले गए टेंडर में नहीं लिया जा सका है। 15 सितंबर से सड़कें बनना शुरू हो जाएगी।