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Moradabad Passing Out Parade : भाई की माैत पर कांस्टेबल बाेला- पहले निभाऊंगा खाकी का फर्ज , फिर दूंगा भाई की चिता को आग

Moradabad Passing Out Parade खाकी पहनने ख्वाब युवाओं के दिल में होता है। लेकिन खाकी का फर्ज निभाने के लिए भी बड़ी हिम्मत की जरूरत होती है। पीएसी नवी वाहिनी के मैदान में एक ऐसा भी नजारा देखने को मिला।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sat, 29 May 2021 04:20 PM (IST)Updated: Sat, 29 May 2021 04:20 PM (IST)
Moradabad Passing Out Parade : भाई की माैत पर कांस्टेबल बाेला- पहले निभाऊंगा खाकी का फर्ज , फिर दूंगा भाई की चिता को आग
Moradabad Passing Out Parade : भाई की माैत पर कांस्टेबल बाेला- पहले निभाऊंगा खाकी का फर्ज

मुरादाबाद, रितेश द्विवेदी। Moradabad Passing Out Parade : खाकी पहनने ख्वाब युवाओं के दिल में होता है। लेकिन खाकी का फर्ज निभाने के लिए भी बड़ी हिम्मत की जरूरत होती है। पीएसी नवी वाहिनी के मैदान में एक ऐसा भी नजारा देखने को मिला,जब बड़े भाई का शव घर में अंतेष्ठि के लिए इंतजार कर रहा था,वहीं छोटा भाई उसके खाकी पहनने के सपने को पूरा कर रहा था। खाकी पहने यह सिपाही की आंख से प्रत्येक कदम ताल पर आखों से आंसू गिर रहे थे,लेकिन वह खाकी के फर्ज को अदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था।

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कमांडर की आवाज में जोर से जयहिंद के शब्द मुंह से निकल रहे थे। लेकिन मन में असहनीय पीड़ा से वह गुजर रहा था।शुक्रवार को पीएसी नवी वाहिनीं के मैदान में 153 सिपाहियों की पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया था। इन सिपाहियों की परेड में एक नाम शामली जनपद के मलेंडी गांव निवासी कपिल सरोहा का भी था। बीते छह माह से वह पूरी लगन और मेहनत के साथ अपना प्रशिक्षण पूरा कर रहे थे।

हर दिन वह घर में अपने बड़े भाई अरूण सरोहा से बात करते थे। उनके भाई अरूण का सपना था,कि उनका छोटा भाई उनके सामने खाकी वर्दी पहनकर खड़ा हो जाएगा। भाई की पढ़ाई-लिखाई का वह ही पूरा खर्च उठा रहे थे। नौकरी मिलने के बाद उन्हें सबसे ज्यादा खुशी मिली थी। लेकिन पासिंग आउट परेड के आठ घंटे पहले कपिल के फोन पर स्वजनों ने सूचना दी। यह सूचना थी कि उनके बड़े भाई अरूण की मौत हो गई है।

इस खबर के मिलते ही वह सन्न रह गए। आनन-फानन में उन्होंने वाहिनियों के उच्च अधिकारियों से संपर्क किया। मामले की जानकारी होने के बाद नवी वाहिनीं के कमांडेंट अशोक कुमार शुक्ला ने प्रशिक्षु सिपाही से बात करके ढांढस देते हुए,पहले वर्दी का फर्ज निभाने के लिए हौसला दिया। इसके बाद सुबह परेड मैदान में पूरे जज्बे के बाद सिपाही ने पासिंग आउट परेड में भाग लिया। पासिंग आउट परेड के संपन्न होने के बाद कमांडेंट ने उन्हें घर जाकर अपने कर्तव्य निभाने के लिए इजाजत दी। 


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