Moradabad Panchayat Election 2021 : चुनाव के नतीजों से पहले ही बिछने लगी सियासी बिसात, जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर निगाहें
प्रदेश में भले ही भाजपा की सरकार है। लेकिन मुरादाबाद को सपा का गढ़ माना जाता है। यहां छह विधानसभा सीटों में से चार पर सपा का कब्जा है। इसलिए जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा और सपा में ही मुकाबला होने की संभावना नजर आ रही है।
मुरादाबाद [मोहसिन पाशा]। प्रदेश में भले ही भाजपा की सरकार है। लेकिन, मुरादाबाद को सपा का गढ़ माना जाता है। यहां छह विधानसभा सीटों में से चार पर सपा का कब्जा है। इसलिए जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा और सपा में ही मुकाबला होने की संभावना नजर आ रही है। बसपा, कांग्रेस और अन्य दल जिले के प्रथम नागरिक की कुर्सी तक पहुंचाने में निर्णायक भूमिका में रहेंगे। नतीजे के आने से पहले ही दावेदारों ने जिताऊ प्रत्याशियों पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। कुछ तो दावेदारों के खासमखास ही मैदान में थे। इसके अलावा अन्य जिताऊ प्रत्याशियों से संपर्क साधकर दोस्ती बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
मुरादाबाद में 39 जिला पंचायत सदस्यों को अध्यक्ष का चुनाव करना है। सभी पदों के लिए मतदान हो चुका है। इन पदों के लिए 635 प्रत्याशी मैदान में थे। सभी ने अपने हिसाब से जीतने के लिए पूरी ताकत झाेंक दी। दो मई को उनकी मेहनत का नतीजा आना है। लेकिन, मतदान के बाद ही यह अंदाजा तो सभी दलों के नेताओं को हो चुका है कि संभावित जिला पंचायत सदस्य कौन-कौन हो सकते हैं। इसलिए जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जिन नेताओं की नजर है, उन्होंने अभी से वोटों का हिसाब लगाना शुरू कर दिया है। भाजपा से डाक्टर शैफाली सिंह को जिला पंचायत सदस्य पद के लिए टिकट होने के बाद से ही दावेदार माना जा रहा है। कुंदरकी विधानसभा के प्रत्याशी रहे भाजपा नेता रामवीर सिंह की पत्नी संतोष देवी भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ी हैं। उन्हें भी बतौर प्रत्याशी देखा जा रहा है। ठाकुरद्वारा के दो भाजपा नेताओं के करीबी भी कई वार्डों से चुनाव लड़े हैं। भाजपा किसी को भी पार्टी का टिकट देकर अध्यक्ष का चुनाव लड़ा सकती है। समाजवादी पार्टी में कुंदरकी विधायक हाजी मुहम्मद रिजवान की पुत्रवधू सबा परवीन और बिलारी विधायक फहीम इरफान की भाभी शबनम जहां एक ही वार्ड से चुनाव मैदान में हैं। किस्मत ने जिसका साथ दिया, उन्हींं के परिवार की बहू जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी हो सकती हैं। इसलिए सपा में प्रत्याशी को लेकर कोई बड़ी सियासी लड़ाई होती नजर नहीं आ रही है। पूर्व विधायक रिजवान उल हक की पत्नी भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ी हैं। नतीजा आने के बाद उनका रुख भी सपा की सियासत में कोई गुल खिला सकता है। बसपा में अभी तक जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए कोई बड़ा नाम सामने नहीं आया है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष फिजाउल्ला चौधरी के परिवार से दो लोग जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन, कुल मिलाकर अब तक मुकाबला भाजपा और सपा के बीच ही दिखाई दे रहा है। कोई तीसरा व्यक्ति सामने आने पर सियासी हालात बदल भी सकते हैं। अभी तक के सीन के मुताबिक बसपा, कांग्रेस और अन्य दल जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में किंग मेकर की भूमिका में नजर आ रहे हैं। नतीजों से पहले ही दावेदारों ने जिताऊ प्रत्याशियों की सूची बनाकर उनसे संपर्क साधना शुरू कर दिया है।