जिंदा को मुर्दा बताने वाले मुरादाबाद के अस्पतालों ने अभी तक नहीं दिया जवाब, जानिये क्यों है विवेकानंद अस्पताल की रिपोर्ट अहम
Declared alive as dead जिंदा इंसान को मृत घोषित करने के मामले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दो अस्पतालों ने नहीं दिया है। दसवें दिन तक दोनों अस्पताल यह नहीं बता पा कि मरीज को किस आधार पर मृत घोषित किया था।
मुरादाबाद, जेएनएन। Declared alive as dead : जिंदा इंसान को मृत घोषित करने के मामले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दो अस्पतालों ने नहीं दिया है। दसवें दिन तक दोनों अस्पताल यह नहीं बता पा कि मरीज को किस आधार पर मृत घोषित किया था। विवेकानंद अस्पताल की रिपोर्ट इसमें सबसे अहम बताई जा रही है। क्योंकि यहां से ही सबसे पहले जिंदा इंसान को मृत घोषित किया गया था। 19 नवंबर की रात तीन बजे से सुबह 10:30 बजे तक बिना उपचार शवगृह में नगर निगम कर्मचारी श्रीकेश पड़ा रहा। उसे समय से उपचार मिल जाता तो शायद दिमाग में खून के थक्के नहीं जमते। लेकिन, निजी और सरकारी लापरवाही की भेंट चढ़े श्रीकेश की मौत मेरठ मेडिकल कालेज में हो गई थी।
इसके बाद भी शहर के निजी अस्पताल विवेकानंद और साईं अस्पताल से 29 नवंबर की शाम पांच बजे तक जिला अस्पताल के मेडिकल बोर्ड को नहीं मिला है। विवेकानंद अस्पताल में श्रीकेश को ईसीजी रिपोर्ट के आधार पर मृत घोषित किया गया था। मेडिकल तौर पर क्या कारण थे। इसके बारे में किसी ने कोई जवाब नहीं दिया है। वहीं, जिला अस्पताल के आपातकालीन चिकित्सक ने भी विवेकानंद अस्पताल को आधार मानते हुए श्रीकेश को मृत घोषित किया था। अभी तक संशय की स्थिति बनी हुई है। जिला अस्पताल मेडिकल बोर्ड के डाक्टरों को प्रमुख तौर पर विवेकानंद अस्पताल की रिपोर्ट का इंतजार है। 10 दिन बीत जाने के बाद भी जवाब नहीं मिलना लापरवाही को दर्शाता है।
ये था घटनाक्रमः शुक्रवार 19 नवंबर को मुरादाबाद जिला अस्पताल के शवगृह में नगर निगम कर्मचारी श्रीकेश सात घंटे तक पड़े रहे। आपातकालीन कक्ष चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया। जिंदा होने की जानकारी मिलने पर उन्हें तत्काल आपातकालीन कक्ष में लाकर उपचार शुरू किया गया। इसकेे बाद मेरठ मेडिकल कालेज में रेफर कर दिया गया था। 24 नवंबर की रात साढ़े छह बजे डाक्टरों की टीम ने श्रीकेश को मृत घोषित कर दिया था। मुरादाबाद जिला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेंद्र कुमार ने बताया कि हमें अभी तक सिर्फ दो ही अस्पतालों ने मरीज के बारे में अपने यहां किए गए इलाज की जानकारी दी है। साईं अस्पताल और विवेकानंद अस्पताल से कोई जवाब नहीं मिला है। सीएमओ कार्यालय में भी पत्र भेजा गया है। मंगलवार को जवाब नहीं मिलने पर फिर सीएमओ कार्यालय से कार्रवाई होगी।