Moradabad coronavirus News : कोरोना मुक्त गांवों के लोगों की एंटीबॉडी परखेगा स्वास्थ्य महकमा, लिए जा रहे सैंपल
विश्व स्वास्थ्य संगठन की निगरानी में स्वास्थ्य विभाग कोरोना मुक्त गांवों के लोगों की एंडीबाडी परखने के लिए उनके खून के नमूने लेकर जांच करा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने 31 स्थानों से 744 लोगों के खून के नमूने लेकर जांच के लिए लखनऊ भेजे हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। विश्व स्वास्थ्य संगठन की निगरानी में स्वास्थ्य विभाग कोरोना मुक्त गांवों के लोगों की एंडीबाडी परखने के लिए उनके खून के नमूने लेकर जांच करा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने जिले भर के 31 स्थानों से 744 लोगों के खून के नमूने लेकर जांच के लिए लखनऊ भेजे हैं। इन नमूनों के जरिए इस बात का पता लगाने की कोशिश है कि कोरोना मुक्त गांवों में कोरोना क्यों नहीं पहुंचा। कहीं ऐसा तो नहीं है कि इन गांवों के लोगों में कोरोना होकर निकल गया है।
यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कोरोना मुक्त क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता( एंटीबाडी) कितनी है। जिले के कोरोना मुक्त गांवों को मिलाकर कुल 31 स्थानों से आठ-आठ महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के खून से नमूने लिए गए। इसमें शहरी क्षेत्र के भी कुछ स्थान है। इस तरह कुल 744 खून के नमूने लेने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में टीमें पहुंची। कुंदरकी के चार काेरोना मुक्त गांवों का नमूने लेने के लिए चयन किया गया था। इनमें सम्भल रोड स्थित फत्तेहपुर खास गांव भी शामिल था। दैनिक जागरण ने ही इस गांव को कोरोना मुक्त होने की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डींगरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर फय्याज आलम टीम के साथ पहुंचे। प्राइमरी पाठशाला स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में उन्होंने 24 लोगों के खून के नमूने लिए। टीम में उनके साथ एएनएम प्रेमलता शर्मा, आंगनबाडी कार्यकर्ता नादिरा परवीन, आशा गुलशन जहां, सादाब आदि शामिल थे। इसी तरह अन्य स्थानों पर भी खून से नमूने लिए गए। खून से नमूनों को जांच के लिए भेज दिया गया है। एसीएमओ डाक्टर डीके प्रेमी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की भाषा में यह सीरो सर्वे कहा जाता है। इसमें यह देखा जाता है कि कितने लोगों के शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबाडी बन चुका है। एंटीबाडी वायरस के प्रति शरीर को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। सीरो सर्वे में लिए गए ब्लड सैंपल पाजिटिव आने का मतलब है कि व्यक्ति पहले वायरस के संक्रमण की चपेट में आ चुका है। इसके बाद उसके शरीर में वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है। यही प्रवृत्ति जब बड़ी जनसंख्या में दिखने लगती है तो इसे हर्ड इम्यूनिटी कहा जाता है। कोरोना मुक्त क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में हार्ड इन्यूनिटी होने की संभावना है। खून के नमूने की रिपोर्ट निगेटिव आता है तो इसका मतलब हो सकता है कि या तो वह व्यक्ति वायरस की चपेट में कभी आया ही नहीं है। वायरस की चपेट में आने के बाद अभी इतना वक्त नहीं हुआ है कि उसके शरीर में एंटीबॉडी बनी हो। एक कोरोना मरीज के शरीर में एंटीबाडी बनने में कम से कम एक से तीन हफ्ते का वक्त लगता है। इसलिए वैक्सीनेशन कराने के बाद परेशान होने की जरूरत नहीं है। एसीएमओ डा. डीके प्रेमी ने बताया कि सीरो सर्वे में बीस लोगों के खून का नमूना लिया, पहली लहर कोरोना हुआ था। दूसरी लहर में कोरोना पाजिटिव होने वाले 40 लोगों के नमूने लिए गए हैं। इसके अलावा 20 ऐसे लोगों के नमूने लिए गए जो पिछली बार कोरोना पाजिटिव हुए और उनमें एंटीबाडी कितनी बनी है। सर्वे के मुताबिक ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी।