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खराब है मानसिक स्वास्थ्य तो न करें च‍िंंता, न‍ियम‍ित इलाज से जिंदगी में आएगी खुशहाली

कोरोना संक्रमण ने लोगों की जिंदगी बदल दी। लॉकडाउन में तमाम कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए। लोगों ने घरों में रहकर टीवी मोबाइल स्क्रीन पर फिल्म आदि में समय बिताया। दिनचर्या पूरी तरह बदल गई। रातभर जागना और दिन में सोने की वजह से लाइफ स्टाइल बदल गया।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 01:36 PM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 01:36 PM (IST)
खराब है मानसिक स्वास्थ्य तो न करें च‍िंंता, न‍ियम‍ित इलाज से जिंदगी में आएगी खुशहाली
लॉकडाउन में मोबाइल स्क्रीन और टीवी की वजह से हुई मानसिक परेशानी।

मुरादाबाद, जेएनएन। कोरोना संक्रमण ने लोगों की जिंदगी बदल दी। लॉकडाउन में तमाम कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए। लोगों ने घरों में रहकर टीवी, मोबाइल स्क्रीन पर फिल्म आदि में समय बिताया। दिनचर्या पूरी तरह बदल गई। रातभर जागना और दिन में सोने की वजह से लाइफ स्टाइल बदल गया। अनलॉक होने के बाद सबसे अधिक मानसिक दिक्कतों के मरीजों की संख्या सबसे अधिक बढ़ी है। सरकारी के अलावा निजी चिकित्सकों के क्लीनिक में भी ऐसे मरीजों की भरमार है।

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मानसिक स्वास्थ्य दिवस हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है। लेकिन, कोरोना संक्रमण की वजह से 10 अक्टूबर के बजाय 25 मार्च को मानसिक स्वास्थ्य दिवस दयालुता थीम पर मनाया जा रहा है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जीएस मर्तोलिया ने बताया कि मानसिक रोगियों को जागरूक करने की जरूरत है। लॉकडाउन में सबसे ज्यादा प्रभाव मानसिकता पर पड़ा है। लोगों की दिनचर्या बदल गई। हालात ये हो गए कि दिन में सोने की आदत से आलस के अलावा अन्य दिक्कतें शुरू हो गई हैं। ऐसे मरीजों को अधिक देखभाल की जरूरत है। उनसे प्यार से बातचीत करने के साथ ही अकेला नहीं छोड़ें। शेयरिंग करें। उनसे सकारात्मक चर्चा करें। जिला अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रतिदिन 100 से 150 रोगी पहुंच रहे हैं। उनकी काउंसिलिंग के साथ ही दवा भी नियमित उपलब्ध कराई जा रही है।

ये हो रहीं दिक्कतें

स्पष्ट रूप से सोचने और दैनिक कार्य करने में परेशानी, बार बार गलत विचारों का आना, आत्महत्या का विचार मन में आना,  क्रोध, भय चिंता, अपराध बोध,  उदासी या खुशी की अनुभूति, सामाजिक मेलजोल में कमी, नींद न आना, बात-बात पर गुस्सा। 

परिवार में बात-बात पर चिढ़ जाने वाले व्यक्ति के साथ शालीनता से पेश आएं। उसपर गुस्सा नहीं करें। ऐसे मरीज को उपचार के लिए अस्पताल लेकर आएं। नियमित इलाज से इस तरह की परेशानी दूर होगी।

धनंजय, मानसिक स्वास्थ्य काउंसलर


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