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आइये आंखें मूंद लें, ये नजारे अजीब हैं,गरीबों की दास्तां सुन छलक पड़े आंसू Moradabad News

भूख मिटाने दिल्ली आए भूख लेकर जा रहे गांव। दिल्ली में हुनर से रोटी कमाने वाले गांव में रहेंगे। लॉकडाउन के कारण मजदूरों को हो रही है परेशानी।

By Ravi SinghEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 01:17 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 01:17 PM (IST)
आइये आंखें मूंद लें, ये नजारे अजीब हैं,गरीबों की दास्तां सुन छलक पड़े आंसू Moradabad News
आइये आंखें मूंद लें, ये नजारे अजीब हैं,गरीबों की दास्तां सुन छलक पड़े आंसू Moradabad News

मुरादाबाद (आशुतोष मिश्र)। भूख मिटाने के लिए परदेसी हुए मजदूरों का भूख से जंग जारी है। ये हुनरमंद दिल्ली की हवेलियों में रंग भरते थे लेकिन, कोरोना के कहर में इनकी मेहनत और कारीगरी का बाजार ठंडा पड़ गया है। अब उनकी उम्मीद का आखिरी मंजिल गांव ही है। इसलिए रक्सौल (बिहार) के कामगार भूख की मार झेलते उदासी के सफर पर निकल पड़े हैं। शायद ऐसे हालात मेें सरकार के दावों का स्याह सच दुष्यंत कुमार का शेर बयां कर देता है।

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ओ निगाहें सलीब हैं, हम बदनसीब हैं।

आइये, आंखें मंूद लें ये नजारे अजीब हैं।।

पूर्वांचल व बिहार की ओर जाने वाले मजदूरों की हालत यूं हैं। दिल्ली के तिलकनगर में राज मिस्त्री का काम करने वाले रक्सौल (बिहार) जिले के रमघड़वा थाना के धनपुर निवासी रामबाबू कुशवाहा, भीमकरन पासवान, राजू कुमार के दर्द की कहानी अंतहीन है। इन दिहाड़ी मजदूरों के साथ में बीवी बच्चे भी रहते थे। लॉकडाउन में मकान का किराया नहीं रहा। खाने के लाले पड़ गए थे। ऐसे में शनिवार को तड़के सभी साथ में गांव के लिए निकल पड़े। कुछ दूर पैदल चले। इसके बाद ट्रक वालों से मदद ली। मुरादाबाद की सीमा में पाकबड़ा पुलिस ने डीसीएम से लखनऊ की ओर भेज दिया। बरेली हाईवे पर मजदूरों के दल को पेड़ की छांव मिली तो भीमकरन ने दर्द की कहानी का पन्ना खोल दिया। दूरभाष पर बताया कि सत्रह लोग एक साथ के हैं। देखते हैं पुलिस कहां छोड़ती है? लखनऊ पहुंचे तो आगे की सोचेंगे। गांव पहुंच गए तो वहां कोई काम कर लेंगे। ट्रक में एकसाथ सटकर बैठे मजदूरों के बातचीत का सिलसिला यहीं नहीं थमता। रामबाबू की बेटी मुनिया बोली, लगता है कि हम भूख से मर जाएंगे। मुरादाबाद में पुलिस ने दो-दो केले दिए थे। आरती कुमारी कहने लगी कि लगता है भगवान बहुत ही नाराज हैं। भूख से आंते सिकुड़ रही हैं और धूप है कि जान लेने को आमादा है। घर जिंदा पहुंचे तो फिर वापस नहीं आएंगे, ऐसे लोगों के पास जिन्होंने संकट में मुंह मोड़ लिया।

जिला आजमगढ़ के निजामाबाद कस्बा निवासी अमरजीत और परिवार के सदस्य क्रमश: रामकरन, बालजीत और भतीजे बबलू संग दिल्ली से सोलह घंटे में पैदल और चार पहिया की मदद से दिन के तीन बजे चौधरपुर (एनएच 24)पुलिस बैरियर तक पहुंचे। यहां मुरादाबाद पुलिस ने रोका और ट्रक पर चढ़ा कर लखनऊ की ओर भेज दिया।

अमरजीत का कहना है कि रास्ते में बड़ी दिक्कत हुई हैं। जेब खाली है। कुछ गृहस्थी के सामान हैं। किसी तरह घर पहुंच गए तो वहीं पर गुजर-बसर का काम खोजेंगे। अमरजीत का कहना है कि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि मजदूर पैदल न चलें और अफसर ट्रकों में ठूंस रहे हैं।  


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