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कम हो या घटिया, क्षतिपूर्ति है उपभोक्ता का अधिकार

संशोधित विश्व उपभोक्ता दिवस पर विशेषसंशोधित विश्व उपभोक्ता दिवस पर विशेषसंशोधित विश्व उपभोक्ता दिवस पर विशेष

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 11:30 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 06:12 AM (IST)
कम हो या घटिया, क्षतिपूर्ति है उपभोक्ता का अधिकार
कम हो या घटिया, क्षतिपूर्ति है उपभोक्ता का अधिकार

उमेश लव, मुरादाबाद: दुनिया सृजन के साथ गाव में अनाज के बदले सामान लेने से शुरु हुई मोहल्ले की दुकान आज बिग बाजार और बड़े-बड़े मॉल का रास्ता पार करते हुए अब ऑनलाइन शॉपिंग तक आ गई। ऐसे में बाजार के नाम पर फ्रॉड के तरीके भी बदलते जा रहे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर लोगों से ठगी के तरीके लगातार बदलते जा रहे हैं। भ्रामक विज्ञापन इसमें खास भूमिका अदा करते हैं।

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उपभोक्ताओं के अधिकारों को मजबूत करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 देशभर में लागू होगा। यह नया कानून पहले से प्रचलित 34 साल पुराने उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 1986 का स्थान लेगा। नए कानून में जहा ई-कॉमर्स कंपनियों की जवाबदेही तय की गई है। वहीं ग्राहक को नुकसान होने पर विक्रेता के साथ ही वस्तु के मैन्यूफैक्चरर्स व डीलर को भी जिम्मेदार बनाया गया है। अब तो उच्च बीज खरीद के बाद घटिया उत्पादन भी उपभोक्ता की श्रेणी में है अर्थात बाजार से खरीदी कोई भी चीज निर्धारित वजन से कम हो या मानक के विपरीत घटिया, ऐसे में उपभोक्ता को क्षतिपूर्ति का अधिकार है। इतना ही नहीं, इस बार दोषी लोगों को भी अपील दायर करने से पहले हर्जाने की 50 फीसदी राशि जमा कराने को अनिवार्य बनाया है जो उपभोक्ता हित में मील का पत्थर साबित होगा।

ऐसे कर सकते हैं शिकायत

उपभोक्ता या शिकायतकर्ता सादे कागज पर ही शिकायत दर्ज करवा सकता है। शिकायत में शिकायतकर्ताओं तथा विपरीत पार्टी के नाम का विवरण तथा पता, शिकायत से संबंधित तथ्य एवं यह सब कब और कहा हुआ आदि का विवरण, शिकायत में उल्लिखित आरोपों के समर्थन में दस्तावेज साथ ही प्रामाणिक एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिए। इस प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी वकील की आवश्यकता नही होती। साथ ही इस कार्य पर नाम मात्र का न्यायालय शुल्क लिया जाता है। -वर्तमान में केस 90 दिवस में निस्तारण करने का प्रावधान है। लेकिन समय तीन माह से एक साल तक की तारीख मिल रही है। ऐसे में उपभोक्ता को नए अधिनियम से वास्तविक रुप से लाभ मिले इस बारे में सरकार और अधिवक्ता को गंभीरता से लेना चाहिए सरकार ने जिला उपभोक्ता मंचों में अध्यक्ष, सदस्यों एवं स्टाफ कर्मियों की भर्ती नहीं की है जिससे समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा और केसों की सुनवाई प्रभावित हो रही है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रभावी तंत्र की आवश्यकता है। देवेंद्र वाष्र्णेय, उपभोक्ता मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता, मुरादाबाद।


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