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जानिए, महिला की जिंदगी बचाने को दो युवकों ने क्यों गंवाई थी जान

मुरादाबाद (मेहंदी अशरफी)। मुरादाबाद के इतिहास के पन्नों में 20 सितंबर 2014 शनिवार का दिन इंसानियत के नाम दर्ज है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 11:10 AM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 11:10 AM (IST)
जानिए, महिला की जिंदगी बचाने को दो युवकों ने क्यों गंवाई थी जान
जानिए, महिला की जिंदगी बचाने को दो युवकों ने क्यों गंवाई थी जान

मुरादाबाद (मेहंदी अशरफी)। मुरादाबाद के इतिहास के पन्नों में 20 सितंबर 2014 शनिवार का दिन इंसानियत के नाम से दर्ज है। महिला की जिंदगी बचाने के लिए दो युवकों ने जान गवा दी थी। धर्म, जाति और वर्ग से ऊपर उठकर इंसानियत की ये मिसाल उन लोगों के लिए सबक है जो धर्म के नाम पर लड़ाने का काम करते हैं। दोनों युवकों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कायम की थी।

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आज का दिन है खास

रविवार को विश्व में मानवतावादी दिवस मनाया जाएगा। इस दिन उन लोगों को याद किया जाएगा जिन्होंने दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जिंदगी दाव पर लगा दी थी। इस दिवस पर इंद्रा चौक का हादसा याद करना होगा जब जाति एवं धर्म की दीवार को तोड़कर दो युवकों ने अपनी जान दे दी थी। हादसे के दिन इंद्रा चौक पर जब्बार स्वीट्स के सामने सीवर लाइन की खुदाई हो रही थी। बारिश की वजह से उसमें पानी भर गया। पीतल बस्ती की रहने वाली पूनम सीवर लाइन में गिर गई थी। उन्हें बचाने के लिए इंद्रा चौक निवासी दानिश पुत्र बाबू कूद गया, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। वो भी पानी में डूब गया। उन दोनों को बचाने के लिए पीरजादा का नोमान भी कूद गया। देखते-देखते तीनों सीवर लाइन में समा गए। प्रत्यक्षदर्शियों के बताने पर पुलिस प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली थी। बाद में आर्मी ने रेस्क्यू चलाने के बाद तीनों के शव निकाले थे। उन तीनों को देखने के लिए शहर का जनसमूह उमड़ पड़ा था। हर एक की जुबा पर आज भी सीवर लाइन का हादसा रहता है। धर्म के नाम पर जब भी कोई बात होती है तो लोग उस हादसे की मिसाल देते हैं कि महिला को बचाने के लिए दूसरे समुदाय के युवकों ने अपनी जान गवा दी थी। उस समय उनके सामने एक इंसानी जिंदगी थी, किसी धर्म, जाति विशेष की महिला नहीं।

देश के विकास में दें योगदान:नायब शहर इमाम

धर्म के नाम पर बंटने से बेहतर है कि सभी लोग एक-दूसरे के पूरक बनें यानी मिलजुल कर भाईचारा कायम करें। देश के विकास में अपना योगदान दें।

-मुफ्ती सैयद फहद आलम, नायब शहर इमाम।

सबको सिखाते हैं मानवता: कथा वाचक

सभी धर्म शाति और मानवता सिखाते हैं। मुरादाबाद के दो युवकों ने महिला की जान बचाने के प्रयास में अपनी भी जान गंवा दी थी। ये इंसानियत की मिसाल है।

-धीरशात दास, कथा वाचक इस्कॉन संकीर्तन मंडल।

मानव सेवा के लिए रहते हैं तत्पर: मुख्य ग्रंथी

हम लोग मानव सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। हर धर्म मानवता सिखाता है। इंद्रा चौक के वो दोनों युवक मानवता की मिसाल हैं।

-सरदार हरेंद्र सिंह, मुख्य ग्रंथी, गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा, ताड़ीखाना

कम देखने को मिलते हैं उदाहरण: फादर

किसी की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जान गंवा देने वाले उदाहरण बहुत कम देखने को मिलते हैं। हर धर्म में सबसे पहले मानवता का पाठ पढ़ाया जाता है।

-बृजेश मैंसल, फादर, फिलिप मैमोरियल मैथोडिस्ट चर्च, पीली कोठी।


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