मुरादाबाद, जेएनएन। जन्माष्टमी को अब बस एक दिन ही बचा है। ऐसे में बाजार में हलचल और बढ़ गई है। शाम तक उमडऩे वाली भीड़ रात तक हो रही है। दुकानों पर महिलाओं से लेकर पुरुषों तक की भीड़ बढ़ गई है। ऐसे में कान्हा के लिए सबसे बेहतर पोशाक और उनके अन्य इंतजाम के लिए लोग घंटो बाजार में बिता रहे हैं। इस बार जन्माष्टमी पर सबसे विशेष फूल महल है, जहां कान्हा विश्राम करने वाले हैं।
हर बार कान्हा के लिए सिंहासन खरीदा जाता था। जन्म के बाद लड्डू गोपाल को पालने में बिठाया जाता था, लेकिन इस बार फूल महल की डिमांड बढ़ी है। व्यापारियों का कहना है कि धागों और एल्यूमीनियम की राड से बना यह फूलमहल सबसे ज्यादा खरीदा जा रहा है, छोटे से बड़े आकार के ये महल बाजार में उपलब्ध हैं। इसके अलावा हर बार की तरह पीतल व लकड़ी के बड़े-बड़े सिंहासन व पालनों की भी खरीदारी हो रही है। व्यापारी राकेश अग्रवाल का कहना है कि 1800 रुपये तक फूलमहल बिक रहे हैं।
केरल के कान्हा की भी बड़ी डिमांड
बाजार में इस बार सबसे ज्यादा आकर्षित केरल के राधा-कृष्ण कर रहे हैं। पीतल के बने इन राधा-कृष्ण को रंगों से सजाया गया है। यह देखने में लकड़ी से बने लग रहे हैं। व्यापारी अक्षय अग्रवाल का कहना है कि इनकी कीमत भी आठ सौ रुपये से लेकर 1800 रुपये तक है।
बच्चों के लिए खूब बिक रहे परिधान
जन्माष्टमी पर सिर्फ लोग पूजा-अर्चना नहीं करते, बल्कि अपने बच्चों को भी उन्हीं के रूप में सजाते हैं। इस बार भी कान्हा और राधा की ड्रेस बाजार में बिकना शुरू हो गई हैं। कान्हा के लिए धोती कुर्ता, बांसुरी तो राधा के लिए लहंगा और चोली की खरीदारी हो रही है।
व्यापारी राकेश अग्रवाल का कहना है कि इस बार फूलमहल काफी पसंद किया जा रहा है। इसके अलावा भी कई तरह के पालने बाजार में आए हैं। व्यापारी अक्षय अग्रवाल का कहना है कि बाजार में केरल के कान्हा ने ध्ूाम मचा रखी है। इनकी खरीदारी सबसे ज्यादा हो रही है।
श्री कृष्ण जष्माष्टमी कल, सुबह घर में स्थापित करें लड्डू गोपाल
भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव 23 अगस्त को अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाएगा। श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 23 अगस्त को रात 12.08 बजे से 1.04 बजे तक है। अष्टमी 23 अगस्त को सुबह 8:09 मिनट पर लग जाएगी और 24 अगस्त को सुबह 8:32 बजे तक रहेगी। अष्टमी लगने के बाद अष्टमी व्रत शुरू हो जाएगा। सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर को साफ करके बाल कृष्ण लड्डू गोपाल जी की मूर्ति मंदिर में रखकर विधि विधान से पूजा करें। इसके बाद रात्रि 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म कराएं। भगवान के गीत गाएं। गंगाजल से पहले कृष्ण को स्नान करा नए वस्त्र और आभूषण पहनाएं। भगवान के भजन गाएं। रात 12 बजे जन्म कराके गीत संगीत के बाद प्रसाद का वितरण करें। मान्यता है कि स्मार्त और शैव संप्रदाय जिस दिन 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे उसके अगले दिन 24 अगस्त को वैष्णव संप्रदाय जन्माष्टमी मनाएगा।
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