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International Olympic Day 2021 : खेलों का इंफ्रास्ट्रक्चर अधूरा, चुनौतियों से जूझ रहे मुरादाबाद के ख‍िलाड़ी

ओलंपिक तक जाने का जुनून खिलाड़ियों में है। इसको लेकर बिना सुविधाओं के ही चुनौतियों से जूझते हुए तैयारी में जुटे हैं। लेकिन खेलों के कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों का सपना ओलंपिक तक पहुंचने की राह में रोड़े अटका रहा है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 04:17 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 04:17 PM (IST)
International Olympic Day 2021 : खेलों का इंफ्रास्ट्रक्चर अधूरा, चुनौतियों से जूझ रहे मुरादाबाद के ख‍िलाड़ी
एक साल से कोरोना का साया, बिना कोच ओलंपिक तक पहुंचने की चुनौती।

मुरादाबाद [तेजप्रकाश सैनी]। ओलंपिक तक जाने का जुनून खिलाड़ियों में है। इसको लेकर बिना सुविधाओं के ही चुनौतियों से जूझते हुए तैयारी में जुटे हैं। लेकिन, खेलों के कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों का सपना ओलंपिक तक पहुंचने की राह में रोड़े अटका रहा है। कोच का न होना, कोरोना महामारी का साया, सुविधाओं का अभाव, प्रतियोगिताओं पर कोरोना के कारण प्रतियोगिताएं नहीं होने से खिलाड़ियों के सामने ओलंपिक तक पहुंचने में मुश्किलें डाली हैं। इन्हीं सुविधाओं के अभाव में जिले में कोई खिलाड़ी अभी तक ओलंपिक में जाने की स्थिति में नहीं हैं।

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खिलाड़ियों की मानें तो मुरादाबाद के नाम ओलंपिक में कोई पदक नहीं है। जिला ओलंपिक संघ राष्ट्रीय खिलाड़ियों को तराशने के लिए उनको सुविधाएं देने का दम भरती है। लेकिन, सोनकपुर स्टेडियम व उप्र माध्यमिक स्कूलों में खेलों को लेकर सुविधाओं का अभाव खिलाड़ी झेल रहे हैं। पब्लिक स्कूलों में सुविधाएं हैं लेकिन, गरीब का बच्चा इन पब्लिक स्कूलों तक भी नहीं पहुंच सकता। खुद ही राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी अभ्यास कर रहे हैं। जिला ओलंपिक संघ की ओर से कोच न होने पर यह प्रयास किया है कि वरिष्ठ खिलाड़ी जूनियर खिलाड़ियों को भी अभ्यास कराएंगे। जिससे वह जूनियर से सीनियर वर्ग में जाने के लिए तैयार हो सकें। राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों में मायूसी है कि ओलंपिक तो छोड़िए इंटरनेशनल स्तर की अन्य प्रतियोगिताओं में भी मौजूदा हालातों में नहीं पहुंच सकते हैं।

खेलोंं के नाम पर बजट पर भी ग्रहण : खेल निदेशालय से भी सोनकपुर स्टेडियम में खेल सुविधाओं के नाम पर खजाना खाली है। एक साल में मात्र 50,000 रुपये स्टेडियम के रखरखाव के लिए मिले। लेकिन, खेल सुविधाएं बढ़ने के लिए खेल उपकरण नहीं मिले।

ओलंपिक में कौन नहीं जाना चाहता। ओलंपिक तक जाने के लिए खेल सुविधाएं मिलना ही बड़ी चुनौती है।

पायल, राष्ट्रीय हैंडबाल खिलाड़ी।

ओलंपिक खेलों तक जाने के लिए एड़ी चोटी का पसीना बहाना पड़ता है। अपने दम पर अभ्यास कर रहे हैं।

अभिषेक पाल, राष्ट्रीय एथलेटिक्स खिलाड़ी

राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचना आसान है। इंटरनेशनल व ओलंपिक तक के लिए सरकारी सुविधाएं मिलना चाहिए। सुहाना, राष्ट्रीय टेबिल टेनिस खिलाड़ी। 

यह मानना पड़ेगा कि खेलों का इंफ्रास्ट्रक्चर जब तक मजबूत नहीं होगा। खिलाड़ियों का ओलंपिक तक पहुंचना बहुत कठिन है। इसी उद़्देश्य से जिला ओलंपिक संघ नए-नए खेलों से खिलाड़ियों को जोड़ रही है। जिससे भीड़ से निकलकर वह नए खेलों में अपना करियर बनाएं। यह वह खेल हैं जो ओलंपिक में शामिल हैं। स्कूलों में संपर्क करके उनके मैदान के मुताबिक खेलों को शुरू करने पर जोर दे रहे हैं। स्टेडियम में कोच न होने की स्थिति में वरिष्ठ खिलाड़ियों को जूनियर खिलाड़ियों को तराशने की जिम्मेदारी भी गई है।

अजय विक्रम पाठक, सचिव, जिला ओलंपिक संघ


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