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Rakshabandhan festival : फौजी भाई को वीडियो कॉल से बहनें दिलाएंगी रक्षा सूत्र का संकल्प

कोराेना महामारी में सेवाएं पूरी तरह बहाल न होने से राखी नहीं भेज पाई मेजर राजकमल की बहन। चीन से तनातनी के कारण छुटि्टयां चल रही रद बीते रक्षाबंधन पर घर आए थे राजकमल।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 09:05 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 09:05 AM (IST)
Rakshabandhan festival : फौजी भाई को वीडियो कॉल से बहनें दिलाएंगी रक्षा सूत्र का संकल्प
Rakshabandhan festival : फौजी भाई को वीडियो कॉल से बहनें दिलाएंगी रक्षा सूत्र का संकल्प

मुरादाबाद, जेएनएन। सीमा पर तैनात फौजी देश की सुरक्षा में लगे हैं। वह अपने त्योहारों पर भी घर नहीं आ पाते। फौजियों की बहनें रक्षाबंधन पर राखियां भेजती हैं लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण पूरी तरह से सेवाएं बहाल नहीं होने से राखी भी नहीं भेज पा रही हैं। इसका मलाल बहनों को है लेकिन बहनें रक्षाबंधन पर अपने फौजी भाई की कलाई पर राखी बांधने से ज्यादा इस बात पर गौरव करती हैं कि उनका भाई संकट की घड़ी में देश की सेवा में जुटा है।

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कोरोना महामारी के बीच पाकिस्तान व चीन से तनातनी के कारण फौजियों की छुटि्टयां रद हैं। इसी कारण पाकबड़ा-कैलसा रोड स्थित ढियोड़ी उर्फ हादीपुर निवासी छत्रपाल सिंह के बेटे राजकमल जम्मू-कश्मीर के श्री नगर में तैनात हैं। इस बार वह रक्षाबंधन पर घर नहीं आएंगे जिससे उनकी बहन सुरभि रक्षाबंधन के दिन वीडियाें कॉलिंग से बात करेंगी और रक्षा सूत्र के महत्व का संकल्प दिलाकर भाई से स्वयं रक्षा सूत्र बांधने को कहेंगी। बीते साल मेजर राजकमल रक्षाबंधन पर अपने घर आ गए थे। तब वह गड़गांव के मानेसर में स्थित नेशनल सिक्योरिटी गार्ड सेंटर पर तैनात थे। लेकिन उसके बाद श्रीनगर स्थानांतरण हो गया। तब हर महीने घर आ जाते थे लेकिन अब फरवरी 2020 से घर नहीं लौटे हैं। पहले कोरोना महामारी के कारण और अब चीन से तनातनी के कारण छुट्टियां रद हैं। सुरभि कहती हैं कि भाई की कलाई पर बंधे रक्षा सूत्र में बहुत ताकत होती है। यह रक्षासूत्र बहन की रक्षा तो करता ही देश की सीमाओं को भी सुरक्षित रखने को भाईयों हौसला बढ़ाती है। 

नहीं खलेगी कमी, देश की रक्षा सबसे पहले 

सुरभि का कहना है कि त्‍योहार पर भाई की कमी नहीं खलेगी। इस बात से खुशी होती है कि वह देश की सेवा कर रहे हैं। वह कहती हैं जिन बहनों के भाई फौज में हैं वे बहनों का इंतजार तो हर बार करती हैं लेकिन न आने पर निराश भी नहीं होती हैं। 


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