आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन को लेकर अहम फैसला आज, सरकार के खाते में जा सकती है कई एकड़ जमीन
Jauhar Universitys land decision सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन को लेकर शनिवार को अहम फैसला आने की उम्मीद है। शुक्रवार को भी इस मामले में जजमेंट के लिए तारीख लगी थी। लेकिन आदेश जारी नहीं हो सका।
मुरादाबाद, जेएनएन। Jauhar University's land decision। सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन को लेकर शनिवार को अहम फैसला आने की उम्मीद है। इस मामले में अदालत ने जजमेंट के लिए शुक्रवार का दिन निर्धारित किया था, लेकिन आदेश जारी नहीं हो सका। अपर जिलाधिकारी प्रशासन जगदंबा प्रसाद गुप्ता अब शनिवार को फैसला सुनाएंगे।
सांसद आजम खां मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के संस्थापक होने के साथ ही कुलाधिपति भी हैं। यूनिवर्सिटी की जमीनों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। साल 2019 में आजम खां के खिलाफ जमीनें कब्जाने के 30 मुकदमे भी दर्ज कराए गए थे। प्रशासन ने उन्हे भूमाफिया भी घोषित कर दिया था। बाद में इन मुकदमों में आजम खां की पत्नी शहर विधायक डॉ.तजीन फात्मा, बहन निखत अखलाक और दोनों बेटे अब्दुल्ला आजम और अदीब आजम को भी शामिल कर लिया गया। यूनिवर्सिटी को मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट संचालित करता है और यूनिवर्सिटी की जमीनें भी ट्रस्ट के नाम हैं। आजम खां इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं, जबकि उनकी पत्नी सचिव, बहन कोषाध्यक्ष और दोनों बेटे सदस्य हैं। जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन के मामले में भारतीय जनता पार्टी लघु उद्योग प्रकोष्ठ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संयोजक आकाश सक्सेना ने शासन में शिकायत दर्ज कराई थी कि जौहर ट्रस्ट ने जमीन खरीदने की शर्तों का उल्लंघन किया है। ट्रस्ट को प्रदेश सरकार ने 12.50 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदने की अनुमति शर्तों के साथ दी थी। उस समय ट्रस्ट ने गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने और चैरिटी कार्य करने की बात कही थी, किंतु उसने ऐसा नहीं किया। इस मामले में प्रशासन ने जांच कराई तो आरोप सही पाए और अपर जिलाधिकारी की अदालत में मुकदमा दायर कर दिया गया।
इस मामले में ट्रस्ट के अधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया था कि आजम खां ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं, जो जेल में बंद हैं। उनका बयान दर्ज करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया जाए और उन्हेंं सीतापुर जेल भेजा जाए। लेकिन, अदालत ने उनकी मांग नहीं मानी। इस पर वह हाईकोर्ट चले गए, किंतु हाईकोर्ट से फौरा राहत नहीं मिल सकी। अब भी उनकी याचिका लंबित है। अदालत को 10 दिसंबर को फैसला देना था, परंतु तब एडीएम कोरोना संक्रमित हो गए थे, इस कारण सुनवाई नहीं हो सकी थी। छह जनवरी को भी फैसला नहीं हो सका। शुक्रवार को भी इस मामले में जजमेंट के लिए तारीख लगी थी। लेकिन, आदेश जारी नहीं हो सका। अब जजमेंट शनिवार को सुनाया जाएगा। फैसला अगर जौहर ट्रस्ट के खिलाफ हुआ तो जौहर यूनिवर्सिटी की 12.50 एकड़ से ज्यादा जमीन सरकार के खाते में जा सकती है। इसलिए यह जजमेंट बहुत अहम हो सकता है।