पहले गणतंत्र दिवस पर सजाया गया था हिंदू कालेज, सभी थे रोमांचित Moradabad News
पहले गणतंत्र दिवस पर सभी ने राष्ट्रीयता को लेकर संकल्प लिए थे। गांधी के त्याग और तपस्या की बातें हुईं। इसके बाद लोग नारे लगाते हुए अपने घरों को रवाना हुए।
मुरादाबाद (आशुतोष मिश्र)। उम्र 91 वर्ष और आखों की चमक माशा-अल्लाह। शरीर साथ नहीं दे रहा, लेकिन आखों में नए सपने पलने का सिलसिला जारी है। बात तिरंगा और पहले गणतंत्र उत्सव की सुनी तो बिस्तर पर बैठ गए। चर्चा हुई तो पेशानी पर बल देते हुए बोल पड़े, हां, मैं ङ्क्षहदू कालेज में पढ़ता था, उस समय कालेज संवारा गया था। झंडा के प्रति सभी में जबरदस्त प्रेम था। जब आसमान में तिरंगा लहराया तो सभी जनगण मन... गाने लगे।
पहले चुप रहे फिर वाकये को सुनाया
शहर के श्रीराम विहार निवासी सेवानिवृत्त प्रवक्ता मास्टर कैलाश कुमार गणतंत्र उत्सव की बात सुन बेटे-बहू से बीपी की दवा मांगने लगे। दवा खाने के बाद पांच मिनट चुप रहे और उस जमाने को याद करने लगे। कुमार पांच जनवरी 1929 को मौजूदा जेपी नगर के नारंगपुर में पैदा हुए, जबकि मुरादाबाद के ङ्क्षहदू कालेज से पढ़ाई की। पहले जोया के सिख कालेज में अध्यापन शुरू किया, बाद में शहर के आरएन कालेज में आ गए।
प्रधानाचार्य पद से हुए थे रिटायर
साल 1989 के कालेज के प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए। अब बेटे संग घर में बीमार हाल में हैं, लेकिन देश के पहले गणतंत्र उत्सव की चर्चा पर उत्साह से लबरेज हो जाते हैं। कहते हैं कि मेरे पर गांधी जी का बड़ा असर हुआ। रेलवे स्टेशन पर मैंने उनके पैर छुए। साल 1955 में आरएन कालेज में नियुक्त हुआ, जबकि पहले गणतंत्र दिवस पर ङ्क्षहदू कालेज का छात्र था।
तब कालेज को सजाया गया था। शहर के अनगिनत लोग आए और सभा हुई। सभी ने राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के योगदान की चर्चा की। वक्ताओं ने जंगे आजादी में कुर्बानी की कहानी बतायी। लोग आते गए और भारत माता के जयकारे लगते रहे। सभी को देश के लिए काम करने की नसीहत दी गयी।
कम हो रही सच्चाई की बातें
फिर देश के हालात की चर्चा करने लगे। बोले, अब तो दुख होता है। अब सच्चाई की बातें कम हो रही हैं लोगों में गिरावट आ गई है। थोड़ी देर में वह शिक्षकों के हित की जंग की चर्चा छेड़ देते हैं। इस बीच उनकी बहू मधु गुप्ता बोल पड़ीं, बाबू जी खादी के कपड़े और महात्मा गांधी के विचार से कोई समझौता नहीं करते।