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प्रधानाध्यापक के आत्मबल से स्कूल का कायाकल्प

मुरादाबाद (तेज प्रकाश सैनी) : बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों को सरकारी चश्मे से देखने वाले के लिए आइना।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Jul 2018 03:09 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 03:09 PM (IST)
प्रधानाध्यापक के आत्मबल से स्कूल का कायाकल्प
प्रधानाध्यापक के आत्मबल से स्कूल का कायाकल्प

मुरादाबाद (तेज प्रकाश सैनी) : बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों को सरकारी चश्मे से देखने वाले शिक्षकों और लोगों के लिए मूंढापांडे ब्लॉक का प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर मिसाल बना है। यहां के प्रधानाध्यापक डॉ. हरनंदन प्रसाद हैं। जून की छुट्टियों में जब दूसरे शिक्षक घूमने फिरने और परिवार के साथ समय बिताने में व्यस्त थे तब डॉ. हरनन्दन स्कूल को हाईटेक और सुंदर बनाने में जुटे थे। स्कूल में अपने वेतन से सीसीटीवी कैमरे लगवाए। ताकि शिक्षक और बच्चों पर निगरानी से शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारा जा सके। हर कक्ष और प्रागण में सीसीटीवी लगाए हैं। बिजली नहीं होने पर इन्वर्टर की व्यवस्था है। बच्चे सुविधाओं के बीच पढ़ाई कर सकें, इसके लिए चार पंखे भी लगवाए हैं। डॉ. हरनंदन दो साल पहले इस स्कूल में स्थानांतरित होकर आए थे। इन दो साल में दो लाख रुपये अपने वेतन से खर्च करके स्कूल को मॉर्डन बनाया है। स्कूल में वॉल पेंटिंग से लेकर बच्चों की हर गतिविधि को फ्लेक्स पर चित्रों के जरिये दिखाया गया है। ताकि बच्चों का उत्साहवर्धन हो सके।

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बच्चों को दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश

पर्यावरण को स्वच्छ और सुन्दर बनाने और बच्चों में रुचि पैदा करने के लिए स्कूल में फुलवारी लगाई जा रही है। इसके रखरखाव के लिए दो बच्चों को एक पौधे की जिम्मेदारी दी गई है। प्रधानाध्यापक का लक्ष्य है कि सरकारी विद्यालयों के प्रति नकारात्मक सोच बदलकर कान्वेंट स्कूलों को मात दे सकें। स्कूल संवरा तो नामांकन भी बढ़ा

डेढ़ साल पहले स्कूल में 114 नामाकन थे। स्कूल का जब कायाकल्प हुआ तो जो निजी स्कूल में बच्चे पढ़ने लगे थे वह भी यहां वापस आ गए। वर्तमान में 170 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। डॉ. हरनंदन स्कूल में शिक्षण के साथ साथ शैक्षिक भ्रमण, योग, समर कैंप, महापुरुषों के जन्मदिवस, बच्चों के जन्मदिवस, पौधरोपण, स्वच्छता अभियान रैली और खेलों जैसे गैर शैक्षणिक कार्य भी कराते आ रहे हैं। टाई-बेल्ट बच्चों को बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से नहीं दी जाती, लेकिन हरनंदन ने बच्चों को अपने पास से टाई-बेल्ट देकर पब्लिक स्कूलों के मुकाबले लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।


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