कारागार में मोबाइल के प्रयोग पर सजा सख्त, पांच साल और गुजारना होगा जेल में
126 साल पुराने कारागार के कानून में परिवर्तन किया गया। अभी तक जेल में मोबाइल और इंटरनेट के प्रयोग पर छह माह की सजा का ही प्रावधान था।
मुरादाबाद, जेएनएन। कारागार में मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग महंगा पड़ जाएगा। अभी तक अगर किसी भी बंदी के पास बैरक के अंदर मोबाइल मिलता था, तो उसे मात्र छह माह की सजा होती थी, वहीं उस सजा को पहले से चल रही सजा में समाहित कर दिया जाता था। राज्य सरकार ने कारागार के प्रिजन एक्ट 1894 में संशोधन कर दिया है। अभी तक कारागार में अगर किसी बंदी के पास कोई मोबाइल मिलता था,तो उसे छह माह की सजा के साथ ही दो सौ रुपये का जुर्माना लगाया जाता था। इस छोटी सजा के चलते बंदियों पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता था।
उत्तर प्रदेश की जेल में अक्सर मोबाइल मिलने के प्रकरण सामने आते रहे हैं। वहीं जेल में बैठे अपराधी में सजा कम होने के चलते इंटरनेट और मोबाइल का प्रयोग चोरी-छिपे करते थे। कई बार सोशल मीडिया के माध्यम से अपना वीडियो भी बनाकर जेल के बाहर भेज देते थे। लेकिन अब 126 साल पुराने जेल मैन्युअल एक्ट में बदलाव करते हुए तीन से पांच साल की सजा का प्राविधान कर दिया है। इसके साथ ही 25 से 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया जाएगा। वरिष्ठ जेल अधीक्षक उमेश सिंह ने बताया कि नए कानून के लागू होने से जेल की सुरक्षा बेहतर होगी। अभी तक बंदियों के मोबाइल फोन को लेकर बहुत ज्यादा भय नहीं होता था,लेकिन नियमों में बदलाव के बाद इस फर्क जरूर दिखेगा। उन्होंने बताया कि मुरादाबाद में जेल में अभी तक कोई भी मोबाइल मिलने की घटना सामने नहीं आई है।
अलग से काटनी पड़ेगी सजा
वरिष्ठ जेल अधीक्षक उमेश सिंह ने बताया मोबाइल पकड़े जाने का अपराध सिद्ध होने के बाद मिलने वाली सजा अलग से बंदी को काटनी पड़ेगी। अगर किसी बंदी को तीन साल की सजा हुई है, तो उसे पूर्व में आरोप में जो सजा मिली है, उसको पूरा करने के बाद तीन साल की सजा काटनी होगी। हालांकि पहले ऐसा नहीं होता था।