हुसैन की सदाओं से गूंजा मुरादाबाद
मुरादाबाद। मुहर्रम के नवें दिन या हुसैन की सदाओं के साथ शिया समाज के लोगों ने जुलजना बरामद किया गया।
मुरादाबाद। मुहर्रम के नवें दिन या हुसैन की सदाओं के साथ शिया समाज के लोगों ने जुलजना बरामद किया। जंजीरों का मातम कर या हुसैन या हुसैन की सदाये बुलन्द की। देर रात तक महानगर में इस्लाम को जिंदा रखने के लिए कर्बला में शहीद हुए हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को याद किया गया। गुरुवार की रात कोहना मुगलपुरा स्थित इमामबाड़ा कुली खा में जुलजना बरामद किया गया। या हुसैन की सदाओं के बीच अजादारों ने जंजीरों का मातम करके खुद को लहूलुहान कर लिया। इसमें आमल मादी,गुलफाम, बाबर, आसिफ अली, जाफर, अब्बास, हुसैन पेंटर आदि मौजूद रहे। वहीं देर रात तक झब्बू का नाला स्थित वारसी बिल्डिंग में नजरो नियाज का सिलसिला चलता रहा। अजादरों ने यहीं चादी के ताजिये की ज्यारत की। सुबह में अली शाकिर नवाब के आवास और इमामबाड़ा हकीम फरजंद अली में मजलिस हुई। मजलिस में मौलाना तनवीर अब्बास ने हजरत अली असगर की शहादत बयान की। इस दौरान आसिफ याबर, जमाल नासिर, हाजी शबी हैदर, नसीन हैदर, जमीर बाकरी, शाहनवाज सिप्तेन, मो. अब्बास, जावेद याबर, मो. आलम आबदी, दिल नवाज नकवी, कुमेल अब्बास आदि मौजूद रहे।
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दस रोजा जिक्त्रे शहीदाने कर्बला के नवें दिन की सदारत
आल इंडिया जमियत एहले सुन्नत के तत्वावधान में दस रोजा जिक्त्रे शहीदाने कर्बला के नवें दिन की सदारत शहजाद- ए-फखरे मिल्लत हजरत मुहम्मद अहमद अकरमी ने की। मुफ्ती मुहम्मद दानिश कादरी ने कहा कि सब्र कि सबसे बड़ी मिसाल देखनी हो तो इमाम हुसैन को देखो। अपना सब कुछ लुटा देने के बाद भी जबान पर शिकवा नहीं लाए। हजरत हुसैन ने सारी दुनिया को पैगाम दिया कि जंग सिर्फ जान बचाकर ही नहीं जीती जाती। कभी जान को कुरबान कर के भी जीती जाती है। इस दौरान मुल्क की तरक्की के लिए दुआ भी कराई गई। इस मौके पर रिज़वान, तनवीर जमाल उसमानी, मुजाहिद फराज, हाजी असलम, हाजी इसलाम हाफिज फाजिल निजाम कादरी, जमाल अखतर आदि मौजूद रहे। पंखों का जुलूस निकाला
अगवानपुर। सुन्नी समाज के लोगों ने पंखों का जुलूस निकाला। इस दौरान लोग अखाड़ा खेलते चल रहे हैं।
मुहर्रम के नवे दिन सुन्नी समाज के लोगों ने अगवानपुर के पंचायत भवन से पंखों जुलूस निकाला गया। मुहल्ला ततारपुर, घासमंडी, कुरेशियान, सादात होते हुए जुलूस टैंपो स्टैंड पर पहुंचा। इस मौके पर मुन्ना खा, हाजी पुत्तन, मोहम्मद रफी, बब्लू ठेकेदार, रिजवान अहमद आदि मौजूद रहे।