Move to Jagran APP

Ground water conservation : मुरादाबाद में पेयजल संकट, चार ब्लाक डार्क जोन में, विभाग भूला जिम्मेदारी

Ground water conservation लघु सिंचाई विभाग के अफसर इस बात को तो स्वीकार करते हैं भूगर्भ जल का स्तर लगातार गिर रहा है। लेकिन उसको बढ़ाने के लिए प्रयास नहीं हो रहा है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 04:20 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 04:20 PM (IST)
Ground water conservation : मुरादाबाद में पेयजल संकट, चार ब्लाक डार्क जोन में, विभाग भूला जिम्मेदारी
Ground water conservation : मुरादाबाद में पेयजल संकट, चार ब्लाक डार्क जोन में, विभाग भूला जिम्मेदारी

मुरादाबाद, जेएनएन। पानी का महत्व रहीम दास ने एक दोहे रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए न उबरे मोती मानुष चून..से समझा दिया है। राज्य सरकार प्रतिवर्ष 16 से 22 जुलाई तक भू-गर्भ जल संरक्षण सप्ताह मनाती है।

loksabha election banner

इसके माध्यम से लोगों को भूगर्भ जल का दोहन कम करने के लिए प्रेरित किया जाता है। भूगर्भ जल को बचाने के लिए सूबे में एक विभाग का गठन किया गया है,लेकिन विभाग अपनी जिम्मेदारी भूलकर केवल कागजी आंकड़ों को मजबूत करने में जुटा रहता है। साल में केवल एक सप्ताह ही यह विभाग अपनी उपयोगिता को साबित करता है। मुरादाबाद में तैनात अधिशासी अभियंता लखनऊ में बैठकर केवल अपना काम निपटाते हैं। वहीं केवल एक अवर अभियंता के हवाले जिले की जिम्मेदारी सौंप रखी गई है। वर्तमान में जिले के चार ब्लाक डार्क जोन घोषित हैं, बीते छह सालों से इन ब्लाकको डार्क जोन से बाहर निकालने के लिए कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है।

जिले के दो ब्लाक बिलारी और डिलारी अतिदोहित की सूची में डाले गए हैं। इन ब्लाक में कभी 15 फुट खुदाई में पानी मिल जाता था, लेकिन अब 42 फुट तक खुदाई करने के बाद ही पानी की उम्मीद जगती है। विभागीय अवर अभियंता तेजिंदर सिंह से जब इस बाबत बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बताया कि भूगर्भ जल के दोहन कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

तालाबों के साथ ही चेक डैम का प्रस्ताव अधूरा

लघु सिंचाई विभाग के अवर अभियंता टीकम सिंह ने बताया कि भूजल संरक्षण के लिए उनका विभाग काम कर रहा है। डार्क जोन में ट्यूबेल खुदाई पर अभी रोक लगी है। डार्क जोन में शामिल चार ब्लाक में 12 तालाबों की खुदाई का प्रस्ताव भेजा गया है, इसके साथ ही दो चेक डैम बनाकर वाटर रिचार्ज सिस्टम को बेहतर बनाने का प्रयास किया गया है। जो प्रस्ताव अभी बनाकर भेजे गए हैं, उनके लिए अभी तक बजट नहीं मिला है। मौजूदा समय में जिले में 43,600 इंजन से चलने वाले ट्यूबेल संचालित हो रहे हैं। इसके साथ ही 1370 किसानों के समरसेबल ट्यूबेल के साथ ही 590 राजकीय नलकूपों के माध्यम से किसानों को पानी की आपूॢत करने का प्रयास किया जा रहा है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.