ग्लैंडर्स का खौफ, टीमें पहुंच रहीं गाव-गाव
मुरादाबाद: अरे, घोड़े के जिस्म पर चकत्ते दिखाई दे रहे हैं। कुछ सुस्त भी नजर आ रहा है। दाना-पानी भी ठी
मुरादाबाद: अरे, घोड़े के जिस्म पर चकत्ते दिखाई दे रहे हैं। कुछ सुस्त भी नजर आ रहा है। दाना-पानी भी ठीक से नहीं खा रहा है। कहीं ग्लैंडर्स बीमारी तो नहीं? ठाकुरद्वारा व बिलारी में मरे घोड़ों में भी कुछ ऐसे ही लक्षण पाए गए थे। पशु चिकित्सकों को दिखा लो, कहीं ऐसा न हो कि नुकसान उठाना पड़े। ये अलफाज अब घोड़ा, गधा और खच्चर पालकों की जुबान पर आम हो गए हैं। घोड़ों की मौत ने मचा दी हलचल
ठाकुरद्वारा व बिलारी में ग्लैंडर्स बीमारी से हुई घोड़ों की मौत ने हलचल मचा दी है। पशु चिकित्सा महकमे की भी नींद उड़ गई है। मंडलभर में सर्विलास सर्वे शुरू हो गया है। बुधवार को भी पशु चिकित्सकों की टोलिया गाव-गाव घूमी। घोड़ा पालकों से पूछताछ की और नमूने लिए। ग्लैंडर्स के ये हैं लक्षण
घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी जीवाणुजनक सूडोमोनास नामक बैक्टीरिया से फैलती है। इसका सीधा असर फेफड़ों पर होता है। शुरुआत में घोड़े की खाल पर चकत्ते और गाठें नजर आती हैं। दो तीन दिन के बाद गाठों से पस निकलना शुरू हो जाता है। नाक और मुंह पर घाव बन जाते हैं। मुंह से लार टपकने लगती है। दो-तीन दिन में घोड़ा मर जाता है। तेजी से फैलती है बीमारी
ग्लैंडर्स तेजी से फैलने वाली बीमारी है। सबसे ज्यादा खतरनाक बात ये है कि यह बीमारी मनुष्य में भी फैल सकती है। घोड़े के संपर्क में रहने वाले मनुष्य को सबसे ज्यादा खतरा रहता है।
20 सैंपल का लक्ष्य है निर्धारित
शासन ने मंडल के प्रत्येक जनपद में 20-20 घोड़ों के खून के नमूने लेने का लक्ष्य सौंपा है। इसके तहत रामपुर, मुरादाबाद, सम्भल, अमरोहा व बिजनौर में सैंपल लेने का कार्य जारी है। चिकित्सकों की टीम को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ग्लैंडर्स बीमारी के केस धनौरा व बिजनौर में पाए गए थे। जिला प्रशासन के सहयोग से जहा बीमारी पाई जाएगी वहा के घोड़ों को मरवाने की स्वीकृति लेकर उन्हें दफन कराया जाएगा। 36 खून के नमूने भेजे गए हैं जाच के बाद स्थिति का पता चलेगा।
डॉ. राजेश कुमार, अपर निदेशक पशु चिकित्सा