Flood hazard : अमरोहा में बढ़ा गंगा का जलस्तर, झोपाडि़यों में पानी, फसलें जलमग्न
अमरोहा में गंगा किनारे बसे गांवों के लोग दहशत में हैं। गंगा के लगातार बढ़ रहे जलस्तर ने उनकी रातों की नींद उड़ा दी है।
अमरोहा। अमरोहा के किसानों की परेशानी बढ़ गई। गंगा में लगातार पानी छोड़े जाने की वजह से पानी अब गांवों में पहुंचने को आतुर है। लोगों की झोपडि़यां जलमग्न हो चुकी हैं। फसलों में पानी भरने से किसान भी चिंतित दिखाई दे रहे हैं। दीयाावली गांव में पहुंचकर एसडीएम िविजय शंकर ने हालात का जायजा लिया।
गंंगा के पास की सब्जी की फसल नष्ट हो चुकी है। जगदेपुर के ग्रामीणों को चारे के लिए परेशान होना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि तुरई, लोकी, लोबिया, उड़़द आदि नष्ट हो चुके हैं। फसलों और चारे के नष्ट होने से किसानों के सामने संकट गहरा गया है। वहीं ग्रामीण को नदी नाले को पार करने की कोई भी सुविधा भी नहीं है। गांव में नदी पार करने के लिए किसानों के पास गांव आदि भी नहीं है। लगातार बढ़ रहे जलस्तर की वजह से लोग भयभीत हैं। हालांकि प्रशासन लगातार हालात की निगरानी कर रहा है।
रामपुर में कोसी नदी में उफान
रामनगर बैराज से 20 हजार क्यूसेक पानी छोडे़ जाने पर कोसी नदी में उफान आ गया है, जिसके चलते एक दर्जन से अधिक गांवों को बाढ़ की विभीषिका सताने लगी है। मरम्मत न होने के कारण बांध पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। किसान जान जोखिम में डालकर चारा लाने को मजबूर हैं। पहाडी एवं मैदानी इलाकों में क ई दिन से मूसलाधार बारिश हो रही है जिसके चलते जनजीवन अस्त व्यस्त होकर रह गया है। बुधवार को उत्तराखंड रामनगर बैराज से 20 हजार क्यूसेक पानी छोडे जाने से कोसी नदी में उफान आ गया है, जिसके कारण गन्ने, धान व पशुओं का चारा आदि नष्ट होकर रह गया है। कोसी नदी किनारे बसे धनौरी, मधुपुरा, फाजलपुर, जालफनगला, बंदरपुरा, अंधापुरी, सोनकपुर, रसूलपुर, मिलककाजी, समोदिया, पासियापुरा, खेमपुर, बजावाला आदि के गांव के ग्रामीणों को बाढ़ का दंश झेलना पड़ता था। ग्रामीणों को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए 14 करोड़ की लागत से 2011 में लालपुर से मुंशीगंज तक बांध का निर्माण कराया गया था। कोसी नदी में पानी आ जाने के कारण ग्रामीणों को पुनः बाढ़ की आशंका सताने लगी है। पशुओं के चारे का संकट उत्पन हो गया है। ग्रामीण पशुओं का चारा लाने के लिए नदी पार जान जोखिम में ड़ाल चारा लाने को मजबूर हैं। मरम्मत न होने के कारण बांध क्षतिग्रस्त हो गया है। पानी के बहाव के कारण लकड़ी की बेरिकेडिंग एवं पत्थरों के स्पर बह गए हैं। किसान जाहिद हुसैन, इब्ने हसन, महबूव आलम, मुस्तफा आदि का कहना है कि विभाग द्वारा बांध की मरम्मत तक नही कराई गई है। लकड़ी की बेरिकेडिंग व स्पर बह गए हैं। अगर कोसी नदी में बाढ़ आई तो ग्रामीणों को भारी परेशानी उठानी पड़ेगी। एसडीएम प्रेम प्रकाश तिवारी ने बताया की रामनगर बैराज से पानी छोड़े जाने पर बाढ़ चौकियों पर तैनात कर्मचारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं।