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गंगा-जमुनी तहजीब के नायक हैैं जाफर भैया Amroha news

एक हैैं जाफर भैया तिगरी गांव में जन्मे गंगा के मैदान में खेले कमाए खाए जिए हैैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 02:01 AM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 09:30 AM (IST)
गंगा-जमुनी तहजीब के नायक हैैं  जाफर भैया Amroha news
गंगा-जमुनी तहजीब के नायक हैैं जाफर भैया Amroha news

अनिल अवस्थी, (अमरोहा): एक हैैं जाफर भैया, तिगरी गांव में जन्मे, गंगा के मैदान में खेले, कमाए, खाए, जिए हैैं। कहां कितना जल है, कब तक धारा की दिशा किधर रहेगी, उन्हें सब कुछ पता होता है। अब उनके बनाए नक्शे के हिसाब से ही पूरा तिगरी मेला सजता-संवरता है। हर साल दीपावली के बाद सब कुछ छोड़कर तिगरी मेले की तैयारियों में जुट जाते हैैं। वे चाहते हैैं कि गंगा-जमुनी तहजीब बनी रहे। 

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भाई को कैंसर का पता चलते ही इंस्पेक्टर की नौकरी पर नहीं गए

तिगरी गांव में जन्मे जाफर अली खां के लिए गंगा नदी मानो ऐसी है जैसे उसकी धारा उनके घर के आंगन से निकली हो। तभी वह गंगा की धारा की दिशा और फाट (दो भागों में बंटना) का सही मूल्यांकन करते हैं। वह शानदार तैराक हैैं। कई अवार्ड जीत चुके हैं। स्पोट््र्स में रुचि रही है। पढ़ाई के बाद इंस्पेक्टर बनना चाहते थे। परीक्षा भी पास कर ली लेकिन, बड़े भाई को कैंसर हो गया। इसका पता चला तो नौकरी पर नहीं गए, घर-कारोबार की जिम्मेदारी संभाल ली। संयोग ये हुआ कि स्पोट््र्समैन होने और इंस्पेक्टर की परीक्षा पास करने के कारण पुलिस वालों में काफी जान-पहचान हो गई। तिगरी गंगा मेले में पुलिस वालों की ड्यूटी लगती है, वहां जाफर भैया भी होते थे और सबके मददगार बन जाते थे। इस प्रकार मेला व्यवस्था में रुचि जगी और वह बढ़ते ही गई। 

अफसर खुद बुलाते हैैं जाफर मियां को

पिछले 25 साल से हर पुलिस अधिकारी मेले से पहले जाफर भैया को बुलाता है और मेले की व्यवस्था व गंगा की दिशा के बारे में समझता है। जाफर भी गंगा मैया को जितना समझते हैं, उतना ही गंगा मैया के चहेते भी हैैं, शायद, इसीलिए गंगा मैया भी उनके नक्शे, उनकी योजना को फलीभूत कर रही हैं। लाखों लोग सकुशल कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करके लौट जाते हैं और अफसरों का धन्यवाद करते हैं। अफसर भी जाफर मियां का धन्यवाद करके अपनी दूसरी ड्यूटी पर निकल जाते हैं। 

सांप्रदायिक सद्भाव का सांस्कृतिक मेला बनाने की चाहत 

जाफर मियां की इच्छा है कि सनातनी संस्कृति का यह मेला सांप्रदायिक सद्भाव का सांस्कृतिक मेला भी बने, गंगा-जमुनी तहजीब फलती-फूलती रहे, क्योंकि तिगरी गंगा मेला तो इसी के लिए पहचाना जाता है। इसके लिए वे अपना सब काम-धाम छोड़कर कई दिन के लिए गांव में ही डट जाते हैं। बदले में उन्हें सिर्फ प्यार और सम्मान चाहिए होता है, वह भरपूर मिलता है। डीजीपी से लेकर एसपी तक हर खास मौके पर उन्हें सम्मानित भी करते हैं। बाकी लोगों से प्यार मिलता है और वे हर साल लाखों लोगों को स्नान कराकर स्वयं भी गंगा नहा जाते हैैं।


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