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असहयोग आंदोलन के लिए गांधीजी ने मांगा था सहयोग Moradabad News

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मुरादाबाद से विशेष जुड़ाव रहा। वह तीन बार आए थे। इस दौरान उन्होंने असहयोग आंदोलन के लिए सहयोग भी मांगा था।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 02:35 AM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 08:05 AM (IST)
असहयोग आंदोलन के लिए गांधीजी ने मांगा था सहयोग Moradabad News
असहयोग आंदोलन के लिए गांधीजी ने मांगा था सहयोग Moradabad News

तरुण पाराशर, मुरादाबाद : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मुरादाबाद से विशेष जुड़ाव रहा। वह तीन बार आए थे। इस दौरान उन्होंने असहयोग आंदोलन के लिए सहयोग भी मांगा था। कांगे्रस का तीन दिवसीय संयुक्त प्रांतीय सम्मेलन 1920 में नौ से 11 अक्टूबर तक बुध बाजार में हुआ था। इसमें हिस्सा लेने के लिए पहली बार गांधीजी मुरादाबाद आए थे। इसको पंडित मदन मोहन मालवीय, पंडित मोती लाल नेहरू, पंडित जवाहरलाल नेहरू, हकीम अजमत खां, मौलाना मुहम्मद अली, शौकत अली ने भी संबोधित किया। डॉ. अजय अनुपम बताते हैं कि सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ. भगवान दास ने की थी। यहीं पहली बार असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव रखा गया था। दिसंबर 1920 में असहयोग आंदोलन की शुरुआत हो गई थी। देश भर से अंग्रेजों के खिलाफ लोगों ने असहयोग करना शुरू कर दिया था। करीब दो साल चले आंदोलन ने अंग्रेजों की जड़ों को कमजोर कर दिया था। छह अगस्त 1921 को भी गांधीजी मुरादाबाद आए और कई स्थानों पर छोटी-छोटी सभाएं की थीं।

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मुरादाबाद में किया था पुस्तकालय का उद्घाटन

अमरोहा गेट पर बृज रत्न ङ्क्षहदू पुस्तकालय के दरवाजे पर लगा पत्थर आज भी गांधी जी के मुरादाबाद आने और उसे जुड़ी यादों का ताजा कर रहा है। महात्मा गांधी ने 12 अक्टूबर 1929 (विजय दशमी संवत 1986) को बृजरत्न ङ्क्षहदू पुस्तकालय के नए भवन का उद्घाटन किया था। मुरली मनोहर को इसका प्रधान और लक्ष्मी नारायण को मंत्री नियुक्त किया गया था। पुस्तकालय उस समय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े नेताओं और युवाओं का प्रमुख केंद्र बन गया था। यहां पर आंदालन की रणनीति बनाई जाती। साथ ही अन्य मुद्दों पर चर्चा होती थी।

स्टेशन पर गांधीजी से मिलने को उमड़ पड़ा था हुजूम

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष इशरत उल्ला खान ने बताया कि महात्मा गांधी एक बार कोलकाता जा रहे थे। जब ट्रेन स्टेशन पर पहुंची तो वहां शहर भर से लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। स्वर्गीय कुसुम सिंघल जो उस वक्त बालिका थीं, गांधी जी से मिलने गई थीं। गांधीजी ने उन्हें गोद में उठाकर खूब दुलार दिया था।

बापू की झलक पाने के लिए दीवाने हो गए लोग

वयोवृद्ध कांग्रेस नेता लक्ष्मण प्रसाद खन्ना बताते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दाऊ दयाल खन्ना और अन्य नेता बताते थे कि घंटों इंतजार के बाद ट्रेन जब ट्रेन मुरादाबाद स्टेशन पर आकर रुकी, तब गांधीजी ट्रेन से बाहर आए थे। उनकी एक झलक पाने के लिए लोग जैसे दीवाने हो गए थे। बहुत धक्का-मुक्की हो रही थी। मेरा काफी समय प्रो. रामसरन के साथ गुजरा था। उन्होंने गांधी जी के बारे में बहुत सी बातें बताईं। उन्होंने बताया था कि असहयोग आंदोलन में देशवासियों का सहयोग जुटाने के लिए गांधीजी मुरादाबाद आए थे। अंग्रेजों का विरोध करने के लिए असहयोग प्रस्ताव पास हुआ था।


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