Move to Jagran APP

गाजियाबाद में पुलिस से हुए संघर्ष में मुरादाबाद भाकियू जिलाध्यक्ष सहित चार घायल

महात्मा गांधी की जयंती पर दिल्ली-गाजियाबाद बार्डर पर किसान और पुलिस संघर्ष में मुरादाबाद के भाकियू जिलाध्यक्ष समेत चार लोग जख्मी हो गए। बिलारी में किसानों ने मौन व्रत भी रखा।

By RashidEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 11:44 AM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 11:44 AM (IST)
गाजियाबाद में पुलिस से हुए संघर्ष में मुरादाबाद भाकियू जिलाध्यक्ष सहित चार घायल
गाजियाबाद में पुलिस से हुए संघर्ष में मुरादाबाद भाकियू जिलाध्यक्ष सहित चार घायल

मुरादाबाद (जेएनएन)।गाजियाबाद बार्डर में किसानों के आन्दोलन को रोकने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। इस आन्दोलन के दौरान किसानों को चोटें लगी है। जनपद से इस आन्दोलन में भाग लेने के लिए भाकियू के जिलाध्यक्ष महेन्द्र सिंह रंधावा के नेतृत्व में 25 ट्रैक्टरों में लगभग पांच सौ से अधिक किसान गए हुए थे। 28 सितंबर को जनपद से गए किसान अपने साथ खाने-पीने का सामान भी लेकर गए थे।

loksabha election banner

रबर की बुलेट भी लगी

भाकियू के अध्यक्ष ने बताया कि लाठी चार्ज की किसी को उम्मीद नहीं थी। हमारे शांतिपूर्ण आन्दोलन को सरकार ने कुचलने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि मुझे पुलिस कर्मियों ने लाठी से पीटा है,जिससे शरीर में कई जगह गंभीर चोटें आई हैं। वहीं भाकियू के प्रदेश सचिव नौ सिंह के पैर में रबर की बुलेट लगी है जिससे वह घायल हुए हैं। इसके साथ ही भाकियू नेता सतीश और रणवीर सिंह भी घायल है। देर शाम लाठी चार्ज के बाद किसानों ने पांच टै्रक्टर ट्रालियां वापस हो गई थी,जबकि बीस ट्रैक्टर अभी भी दिल्ली बार्डर में जमे हुए हैं। भाकियू नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार हमारी मांगे नहीं मानेगी हम वापस नहीं जाएंगे।

किसान विरोधी हैं प्रदेश व केंद्र की भाजपा सरकारें 

भारतीय किसान यूनियन असली अराजनीतिक द्वारा बिलारी के गांधी पार्क में एक दिवसीय उपवास किया गया। किसानों ने सबसे पहले बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नारे लगाए। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी हरपाल सिंह ने कहा कि आज हम जिस आजादी का जश्न मना रहे हैं। सही मायनों में किसान के लिए यह आजादी अधूरी है, क्योंकि किसान दिन-रात गर्मी, सर्दी व बरसात में अन्न उपजाता है और उसे अपनी मेहनत का पूरा दाम नहीं मिल पाता।

सभी दल एक जैसे और किसान विरोधी

किसान की उपज का मूल्य स्वयं किसान को तय करने का अधिकार नहीं है। कृषि प्रधान देश होने पर भी उपज का दाम दूसरे लोग तय करते हैं। किसानों को पूरा दाम नहीं मिलना अन्याय है। यूनियन अन्याय के विरुद्ध चार दशकों से संघर्षरत है। अपने हक के लिए सड़कों पर उतर कर संघर्ष करते हैं। हमारी नजर में सभी राजनीतिक पार्टियां एक जैसी है, जो खुद को किसान हितेषी होने का दावा तो करती है परंतु सत्ता में आने के बाद किसान के लिए कोई नहीं सोचता। सत्ता किसान विरोधी ताकतों के हाथ में खेलती है।

डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट हो लागू

राष्ट्रीय महासचिव चौधरी महक सिंह ने कहा कि आखिर किसान को आजादी कब मिलेगी, कब उसके उपज का पूरा दाम मिलेगा। मांग उठाई स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए। उन्होंने भाजपा सरकारों को किसान विरोधी बताया। उपवास में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष चौधरी हुकम सिंह, डॉ. सत्येंद्र, वीर सिंह सोम, बीके यादव, ठाकुर इंद्रपाल सिंह, छत्रपाल सिंह, डॉ. राकेश रफीक, रंजीत यादव, यशपाल सिंह, नेम पाल सिंह, राजपाल सिंह यादव, अकरम मलिक, वेदराज सिंह, मोहम्मद फारूक, चौधरी शिव सिंह, रामपाल यादव, भूरे सिंह सौरभ सिंह आदि रहे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.