जिले के चार अस्पताल बताएंगे जिंदा मरीज को क्यों कह दिया मुर्दा, रोचक घटना की विभाग ने शुरू कराई जांच
Told dead to Alive Patient जिंंदा होने के बावजूद मरीज को मुर्दा बता दिया गया था। वह रातभर मोर्चरी में लाशों के साथ रहा सुबह धड़कन चलती मिलने पर हंगामा खड़ा हो गया। फिलहाल मामले की जांच कराई जा रही है।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Told dead to Alive Patient : स्वास्थ्य विभाग ने नगर निगम कर्मचारी को मृत घोषित करने के मामले में चार अस्पतालों से जवाब मांगा है। उनसे पूछा गया है कि नगर निगम कर्मचारी श्रीकेश को भर्ती करने के बाद क्या उपचार दिया गया था। सांस के लिए कर्मचारी के मुंह में किन उपकरणों को लगाया गया था। नींद की कौन सी दवाइयां दी गई थीं। पूरी जानकारी जल्द उपलब्ध कराई जाएं।
नगर निगम के लाइट विभाग में कर्मचारी श्रीकेश को जिला अस्पताल के आपातकालीन चिकित्सक डाॅ. मनोज यादव ने मृत घोषित कर दिया था। शवगृह से जिंदा होने के बाद से लगातार इलाज हो रहा है। इसको लेकर हलचल मची हुई है। स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर भी श्रीकेश को लेकर हैरान हैं। डाक्टरों में चर्चा भी हो रही है। जिला अस्पताल प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. शिव सिंह ने तीर्थंकर महावीर अस्पताल, ब्राइट स्टार अस्पताल, साईं अस्पताल और विवेकानंद अस्पताल को पत्र भेजा है। इसमें अस्पतालों से मरीज को भर्ती करने की तारीख, समय और उपचार की जानकारी मांगी गई है। भर्ती करते समय मरीज की क्या स्थिति थी आदि के बारे में पूरी डिटेल मांगी है। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. शिव सिंह ने बताया कि रिपोर्ट मिलने के बाद मरीज की स्थिति क्लीयर होगी।
मेडिकल कालेज में आज होगा आपरेशन : नगर निगम कर्मचारी श्रीकेश की धड़कन आने के बाद आपातकालीन कक्ष में उपचार शुरू कर दिया गया था। सिर में इंजरी होने की वजह से मरीज को मेरठ मेडिकल कालेज भेज दिया गया था। वहां सिर के सीटी स्कैन होने के बाद खून चढ़वाया गया। आज चिकित्सकों ने आपरेशन का समय दिया है। कर्मचारी के छोटे भाई सत्यानंद गौतम ने बताया कि आइसीयू में इलाज किया जा रहा है। दरअसल श्रीकेश हादसे में घायल हो गए थे। कई निजी अस्पतालों से रेफर के बाद उन्हें जिला अस्पताल लाया गया था। यहां जिंदा होने के बावजूद उसे मरा घोषित कर दिया गया था।