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महिलाओं के जज्‍बे से दूर हो रही आर्थिक तंगी, राखी भी हो गई डिजिटल

स्‍वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद महिलाओं के चेहरे पर खिली मुस्‍कान। कोरोना संक्रमण की वजह से घर चलाना हो गया था मुश्किल।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 03:19 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 05:05 PM (IST)
महिलाओं के जज्‍बे से दूर हो रही आर्थिक तंगी, राखी भी हो गई डिजिटल
महिलाओं के जज्‍बे से दूर हो रही आर्थिक तंगी, राखी भी हो गई डिजिटल

मुरादाबाद (मेहंदी अशरफी) । कोरोना काल में उद्योग की रफ़तार भले ही कम हुई हो लेकिन, डिजिटल मार्केट ने लोगों में उत्‍साह भरा है। शहर के स्‍वयं सहायता समूह ने वो काम कर दिया जो घर बैठे हो पाना मुमकिन नहीं था। स्‍वयं सहायता समूह की 10 महिलाओंं ने त्‍योहारी उत्‍साह कम नहीं होने दिया। उड़ान स्‍वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अपने-अपने घरों पर रहकर रक्षाबंधन पर मेवा पैक करने वाली पोटली, श्रीकष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के लिए भगवान जी के कपड़े बनाए। इस सामान को लोगों तक पहुंचाने के लिए वर्चुअल प्रदर्शनी आयोजित की। इस प्रदर्शनी में शहर के निर्यातकोंं की पत्नियां और सामाजिक महिलाओं ने खूब सराहा और उनका सामान भी खरीदा। अब उन्‍हें रक्षाबंधन और जन्‍माष्‍टमी तक के आर्डर मिल चुके हैं। लॉकडाउन की तंगी को दूर करने के लिए उन्‍होंने ये रास्‍ता अपनाया था लेकिन, महिलाओं का उत्‍साह देखकर अब वो पूरी तरह इसी काम में जुट गई हैं।

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22 मार्च से शहर पूरी तरह लॉक था। शहर के घनी आबादी वाले क्षेत्र कटघर की रहने वाली पूजा गुप्‍ता के परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। उन्‍होंने खाली बैठे-बैठे घर में रखी साडि़यां तलाश करनी शुरू कर दी। ये साड़ी वो थी जो इन्‍होंने आज तक नहीं पहनी थी। तीन ही साड़ी निकली। इसके बाद इन्‍होंने रक्षाबंधन पर दी जाने वाली पोटली अलग-अलग डिजाइन में तैयार की। ये पोटलियां लेकर जब वो यस वंडर वुमेन की अध्‍यक्ष प्रिया अग्रवाल के पास पहुंची तो उन्‍होंने इनकी पोटली खरीदने के साथ ही उत्‍साह भी बढ़ाया। डिजिटल प्‍लेटफार्म के जरिये वर्चुअल प्रदर्शनी की सलाह दी। इसके बाद पूजा गुप्‍ता ने अपने मुहल्‍ले की महिलाओं से बात की। उन्‍हें भी काम चाहिए था। सभी ने हां कर दी। उड़ान नाम से स्‍वयं सहायता समूह बनाया। वर्चुअल प्रदर्शनी में शहर के सभी निर्यातक, डॉक्‍टरों की पत्नियां जुड़ीं। उन्‍हें रक्षाबंधन पर दी जाने वाली पोटली और भगवान श्रीकष्‍ण के कपड़े आदि दिखाए तो खूब पसंद आए। पांच हजार का सामान तो हाथो हाथ बिक गया। इसके साथ ही 50 हजार रुपये के आर्डर भी मिल गए। इससे उनका हौसला और बढ़ गया। त्‍योहारी सीजन का सामान ही अब तैयार किया जाएगा।

 

तीन हजार और घरेलू साड़ी से शुरुआत

पूजा गुप्‍ता ने घर में रखी हुई साड़ी और चार हजार रुपये की मदद से पोटली और भगवान श्रीकष्‍ण के कपड़े बनाए। बाजार से तीन हजार रुपये का सामान खरीदा गया। डिमांड देख अब उन्‍होंने ठान लिया है कि वे अपना भविष्‍य सुधारने के साथ ही दूसरी स्‍वयं सहायता समूह की बहनों का भी कल संवारेंगी।

महिलाओं के लिए बनी नजीर

अपने साथ-साथ 10 महिलाओं को घर बैठे रोजगार देने वाली पूजा गुप्‍ता क्षेत्र की महिलाओं के लिए नजीर बन गई हैं। मुहल्‍ले में वो सभी से बात करती हैं और उन्‍हें काम करने की सलाह भी देती है, जिससे महिलाएं आत्‍मनिर्भर बन सकें।

मैंने इतना नहीं सोचा था कि शहर के लोग सामान को पसंद करेंगे। शहर की महिलाओं ने मेरा हौसला बढ़ाया है। इससे मेरे साथ जुड़ी सभी महिलाओं को बराबर काम मिलेगा और वे भी आत्‍मनिर्भर बनेंगी।

पूजा गुप्‍ता, कटघर

मेरे पति मजदूरी का काम करते हैं। लॉकडाउन होने की वजह से उनका काम भी बंद हो गया था। आर्थिक संकट की वजह से परेशानी होने लगी थी। मुझे काम मिला तो मानसिक तनाव कम हुआ।

रजनी प्रतापति, कटघर

पीतल मजदूरी करने के बाद भी मेरे पति परिवार का घर खर्च पूरा नहीं कर पाते थे। आमदनी कम थी। इसपर लॉकडाउन की वजह से मजदूरी भी बंद हो गई। इसके बाद मुझे सिलाई का काम मिला।

बबली, कटघर

मेडिकल पर कर्मचारी होने की वजह से पति सामान तो ला रहे थे। परिवार की आर्थिक स्थिति संतोषजनक नहीं थी। मुझे सिलाई करना आता है। स्‍वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद मुझे काम मिल रहा है।

शैलेश, कटघर


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