Move to Jagran APP

चुनाव में पिता ने जीत का तो बेटे ने हार का बनाया रिकार्ड, कौन हैं ये पिता पुत्र, पढ़ें इनके सियासी सफर की कहानी

UP Election 2022 यूपी की सियासत में एक रोचक तथ्य सामने आया है। यहां एक पिता ने तो चुनाव में जीत का रिकार्ड बनाया है। उन्होंने पांच बार विधानसभा का चुनाव जीता जबकि उनके बेटे ने हार का रिकार्ड बनाया है। वह आठ बार हारे हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 10:57 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 10:57 AM (IST)
चुनाव में पिता ने जीत का तो बेटे ने हार का बनाया रिकार्ड, कौन हैं ये पिता पुत्र, पढ़ें इनके सियासी सफर की कहानी
UP Chunav 2022 : गांव की प्रधानी पर तो आजादी के बाद से ही इनके परिवार का कब्जा रहा है।

रामपुर, (मुस्लेमीन)। UP Vidhan Sabha Election 2022 : शाहबाद विधानसभा सीट से बंशीधर पांच बार विधायक चुने गए, जबकि उनके बेटे चंद्रपाल सिंह लगातार आठ बार चुनाव हार गए। वह हर बार चुनाव लड़ते हैं और मुकाबले में भी रहते हैं। कांग्रेस और भाजपा के साथ ही निर्दलीय भी चुनाव लड़ चुके हैं। विधायक भले ही नहीं बन सके, लेकिन दो बार जिला पंचायत के चेयरमैन भी रह चुके हैं। गांव की प्रधानी पर तो आजादी के बाद से ही इनके परिवार का कब्जा रहा है। पांच बार विधायक बने वंशीधर क्षेत्र में बहुत ही लोकप्रिय थे। उनके नाम से ही उनके गांव की पहचान बन गई है।

loksabha election banner

लोग उनके गांव को टांडा वंशीधर के नाम से पुकारते हैं। वह अक्सर रिक्शा से घूमते थे। गनर भी साथ नहीं रखते। लखनऊ ट्रेन से अकेले ही चले जाते थे। आजादी के बाद से ही गांव के प्रधान बन गए और बाद में विधायक। बात 1967 की है। तब लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां स्वतंत्र पार्टी से सांसद का चुनाव लड़ रहे थे। मुरादाबाद जिले की ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट भी रामपुर लोकसभा क्षेत्र में शामिल थी।

स्वतंत्र पार्टी ने लोकसभा सीट के साथ ही पांचों विधानसभा सीटों पर भी जीत हासिल की थी। तब शाहबाद सीट से बंशीधर विधायक चुने गए थे। दूसरी बार 1969 में हुए विधानसभा चुनाव में बंशीधर भारतीय क्रांति दल के टिकट पर विधायक चुने गए। इसके बाद कांग्रेस में आ गए और 1972 में तीसरी बार विधायक बन गए। लेकिन, 1977 में जनता पार्टी की लहर में चुनाव हार गए। इसके बाद 1980 में फिर विधायक बन गए। लेकिन, 1985 में हार गए। 1989 में हुए चुनाव में पांचवी बार विधायक चुने गए।

चंद्रपाल सिंह राजनीति में आएः इसके बाद बंशीधर चुनाव नहीं लड़े, बल्कि उनके बड़े बेटे चंद्रपाल सिंह राजनीति में आ गए। हांलाकि उनकी मौत 2004 में हुई। वर्ष 1991 में कांग्रेस के टिकट पर चंद्रपाल शाहबाद सीट से पहली बार चुनाव लड़े और भाजपा के स्वामी परमानंद दंडी से करीब छह हजार वोटों से हार गए। 1993 में भी भाजपा के स्वामी परमानंद दंडी विधायक बने और चंद्रपाल सिंह मुकाबले में रहे। 1996 में परमानंद दंडी सपा के टिकट पर विधायक बने और चंद्रपाल सिंह मुकाबले में रहे। सितंबर 1999 में परमानंद दंडी की मौत हो गई और साल 2000 में उप चुनाव हुआ, जिसमें समाजवादी पार्टी के काशीराम दिवाकर जीत गए।

इस चुनाव में चंद्रपाल सिंह भाजपा के टिकट पर मैदान में थे और मुकाबले में रहे। 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में भी चंद्रपाल सिंह भाजपा के प्रत्याशी थे, जबकि काशीराम दिवाकर सपा के इस चुनाव में भी दोनों के बीच मुकाबला हुआ, लेकिन काशीराम जीत गए। 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में काशीराम भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े। इस चुनाव में चंद्रपाल सिंह आजाद उम्मीदवार की हैसियत से थे, फिर भी वह मुकाबले में रहे और मात्र 3500 वोटों से पिछड़ गए। 2012 में चंद्रपाल सिंह फिर कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़े, लेकिन समाजवादी पार्टी के विजय सिंह जीत गए। 2017 में फिर आजाद उम्मीदवार की हैसियत से लड़े। इस चुनाव में भाजपा की राजबाला जीत गईं।

परिवार का क्षेत्र में प्रभावः भारतीय स्टेट बैंक की शाहबाद शाखा के सेवानिवृत प्रबंधक खुर्शीद हुसैन बताते हैं कि शाहबाद क्षेत्र में चंद्रपाल सिंह के परिवार का अच्छा प्रभाव है। उनके पिता शाहबाद क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय थे। वह हमेशा लोगों के सुख-दुख में काम आते थे। चंद्रपाल सिंह ने भी जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए शाहबाद क्षेत्र में बहुत विकास कार्य कराए हैं, लेकिन विधायक फिर भी नहीं बन पाए हैं। चंद्रपाल सिंह दो बार जिला पंचायत के अध्यक्ष भी चुने गए हैं। 1995 में वह पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष बने। इसके बाद 2017 में भी जिला पंचायत चेयरमैन चुने गए। उनके छोटे भाई की पत्नी राजरानी शाहबाद की ब्लाक प्रमुख भी रह चुके हैं।

पत्नी चुनी गईं छह बार सदस्यः गांव की प्रधानी आजादी के बाद से इनके परिवार में ही रही। पिछले साल हुए चुनाव में ही बाहर निकली है। इनकी पत्नी मीरा सिंह लगातार छह बार से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत रही हैं। इस बार भी चंद्रपाल सिंह के समर्थक चाहते हैं कि वह विधानसभा का चुनाव लड़ें। वह बताते हैं कि रोजाना सैकड़ों समर्थक उन्हें फोन कर रहे हैं। कह रहे हैं कि वह चुनाव जरूर लड़ें, विधानसभा चुनाव में हमेशा वह उनके परिवार को वोट देते रहे हैं। उनका कहना है कि वह समर्थकों की मीटिंग करेंगे और उनकी राय जानने के बाद ही फैसला लेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.