मुरादाबाद में वाट्सएप ग्रुप के जरिये किसान बेच रहे फसल, जानें किसानों ने क्यों बंद कर दी जैविक सब्जी की खेती
Farmers selling crops through Whats App group कृषि उत्पाद मंडी समिति में लगने वाला जैविक बाजार कोरोना काल से बंद है। अभी तक नहीं खुल सका है। इसकी वजह से किसान परेशान होकर भटक रहे हैं। वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से किसान अपनी फसलों को बेच रहे हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। Farmers selling crops through Whats App group : कृषि उत्पाद मंडी समिति में लगने वाला जैविक बाजार कोरोना काल से बंद है। अभी तक नहीं खुल सका है। इसकी वजह से किसान परेशान होकर भटक रहे हैं। वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से किसान अपनी फसलों को बेच रहे हैं। किसानों ने बाजार बंद होने की वजह से जैविक सब्जी उगाना बंद कर दिया है।
मुरादाबाद में करीब 400 किसान जैविक खेती खेती करते हैं। लाइनपार मझोला स्थित कृषि उत्पादन मंडी समिति में इन किसानों के लिए अधिकारियों ने बाजार लगवाना शुरू कर दिया था। हर महीने के पहले और तीसरे शनिवार को मंडी समिति के दफ्तर के पास की स्टाल लगाकर जैविक बाजार लग रहा था। अमरोहा और रामपुर के किसानों से भी इस बाजार की वजह से अपने यहां के किसानों का करीबी नाता हो गया है। लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर का जैविक बाजार पर भी साया पड़ गया।
किसानों ने जैविक बाजार में आना बंद किया तो बाजार लगना ही बंद हो गया। किसानों को अब वाट्सएप ग्रुपों के जरिए ही अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। किसानों ने गेहूं, जौ के अलावा काला गेहूं इंटरनेट बाजार के माध्यम से भी जरूरतमंदों के पास तक पहुंचा रहे हैं। कृषि प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक डा. मेहंदीरत्ता ने बताया कि जैविक बाजार को फिर से चालू करने के लिए कोशिश की जा रही है। हमारा प्रयास यह है कि इस बार अस्थाई बाजार लगाने के लिए जमीन ली जाए।
मंडी सचिव से बात करके जैविक बाजार को चालू कराया जाएगा। इससे जैविक खेती करने वाले किसानों को राहत मिलेगी। आम जनता के लोग भी जैविक सब्जियां और अन्य खाद्यान खरीद सकेंगे। मंडी सचिव अनिल त्यागी का कहना है कि हमें मंडी में जैविक बाजार लगाए जाने में कोई आपत्ति नहीं है। किसान जहां पहले बाजार लगाते थे, वहां लगा सकते हैं। इसमें किसी को आपत्ति नहीं होगी।
किसानों को इसलिए होता है नुकसानः कृषि विशेषज्ञ डा. मेहंदीरत्ता का कहना है कि जैविक सब्जी उगाने वाले किसानों को बाजार सही से उपलब्ध नहीं हो रहा है। मंडी समिति में सिर्फ दो दिन बाजार लगने से किसानों का भला नहीं हो सकता है। यहां किसान रिटेल में सब्जी में बेचते हैं। लेकिन, खरीदने वाले थोक के दामों से तुलना करते हैं। किसानों को अस्थायी प्लेटफार्म मिल जाए तो किसान को लाभ होगा। शहर के बीच बाजार मिलने पर लोग जैविक उत्पादों की तरफ आकर्षित होंगे। कुछ किसानों ने कोरोना के बाद अब जैविक सब्जियों उत्पादन शुरू कर दिया है। प्रशासन ने बाजार उपलब्ध कराने में किसानों की मदद नहीं की तो जैविक खेती करने वाले किसानों में अच्छा संदेश नहीं जाएगा।