Fake telephone exchange case : मुरादाबाद में डीओटी को रोजाना हो रहा था सात लाख रुपये का नुकसान
तीन दिन पहले नोएडा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन आरोपित मुरादाबाद निवासी उवैश आलम गाजियाबाद निवासी पुष्पेंद्र कुमार व पवन कुमार को गिरफ्तार किया है। इस मामले की लगातार जांच जारी है। इसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रहीं हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। इंटरनेशनल इंटरनेट कॉल को लोकल सिम नंबर में परिवर्तित करके बात कराने के लिए फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज का प्रयोग किया जा रहा था। अफसरों ने बताया कि अगर एक इंटरनेशनल कॉल में 30 से 40 रुपये का खर्च आता है, तो इस सिम बॉक्स के जरिए भारत के कॉल रेट दर से बात कराने की सुविधा मिल जाती है। एक अनुमान के मुताबिक इस फर्जीवाड़े से अकेले मुरादाबाद में प्रतिदिन डिपार्टमेंट आफ टेलीकम्युनिकेशन (डीओटी) को लगभग सात लाख रुपये का चूना लगाया जा रहा था।
तीन दिन पहले नोएडा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन आरोपित मुरादाबाद निवासी उवैश आलम, गाजियाबाद निवासी पुष्पेंद्र कुमार व पवन कुमार को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपित खाड़ी देश के लोकल कनेक्शन से भारत के अलग-अलग राज्य में लोकल नंबरों पर काल लैंड कराने के बाद बात करने की सुविधा प्रदान करते थे। इस मामले की आइबी के द्वारा भी जांच की जा रही है। शनिवार को नोएडा पुलिस की सूचना के आधार पर छापेमारी की कार्रवाई की गई। पुलिस ने सभी इलेक्ट्रानिक सामान जब्त करने के बाद आरोपित उवैश आलम के खिलाफ मझोला थाने में मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की है।
मुख्य आरोपित के घर पसरा सन्नाटा
मंगलवार देर रात पुलिस ने सेक्टर 62 में अवैध कॉल एक्सचेंज का भंडाफोड़ कर गिरोह के सरगना सहित तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोपितों के पास सिम कार्ड, सर्वर, लैपटॉप, सीपीयू, सिम बॉक्स, नकदी सहित अन्य सामान बरामद किए थे। मुख्य आरोपित थाना भोजपुर क्षेत्र के ग्राम लालूवाला का उवैश आलम भी पकड़ा गया था। जागरण की टीम जब उसके गांव पहुंची तो वहां बात करते हुए उसके चाचा अब्दुल हसन ने बताया की उसके पिता अली हसन की काफी समय पहले बीमारी के चलते देहांत हो चुका है। इसके बाद उवैश ने गांव लालूवाला में रहकर गांव पीपलसाना जूनियर हाईस्कूल में कक्षा आठ तक की पढ़ाई की। इसके बाद 12वीं तक की पढ़ाई मुस्लिम इंटर कॉलेज मुरादाबाद में की। इसके बाद दोस्त के साथ आनंद विहार दिल्ली में रहकर इंजीनियरिंग की शिक्षा ली। उन्होंने बताया कि पांच वर्ष पूर्व उसकी मां का कैंसर के चलते देहांत हो गया। मां की मृत्यु के बाद गांव की 30 बीघा जमीन बेचकर मुरादाबाद ट्रांसपोर्ट नगर में मकान बना लिया था। तब से ही गांव में आना जाना कम रहता है। दिल्ली में रहकर काफी समय से नौकरी कर रहा था।
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