समितियों के फर्जी लाइसेंस मामले में डीएचओ और डीएओ आमने-सामने, जानिए क्या है मामला
Fake fertilizer license डीएम ने डीएचओ को रिमाइंडर भेज कर फर्जी लाइसेंस धारकों की मांगी रिपोर्ट। डीएओ ने कहा कि डीएचओ ने आरोप लगाए हैं तो अभिलेख उनके पास होने चाहिए।
मुरादाबाद, जेएनएन। Fake fertilizer license। जिला उद्यान अधिकारी (डीएचओ) और जिला कृषि अधिकारी (डीएओ) में समितियों के उर्वरक लाइसेंस फर्जी बताने के मामले में ठन गई है। डीएओ ने डीएचओ के आरोपों को निराधार बताया है। इधर डीएम राकेश कुमार सिंह ने भी डीएचओ को रिमाइंडर भेजकर सक्रिय, निष्क्रिय और फर्जी उर्वरक लाइसेंस धारकों की सूची मांगी है।
सप्ताह भर पूर्व डीएचओ ने केवल 10 समितियों के सक्रिय होने की जानकारी डीएम को दी थी। डीएम ने डीएचओ को नाराजगी भरे लहजे में लिखा है कि आप जानबूझकर शेष उर्वरक लाइसेंस धारकों की जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। डीएचओ द्वारा पूर्व में डीएओ से समितियों के उर्वरक लाइसेंस की जानकारी मांगी जा चुकी है। डीएओ ने स्पष्ट कर दिया है कि फर्जी लाइसेंस के आरोप डीएओ ने लगाए हैं तो उनके पास सक्रिय, निष्क्रिय और फर्जी लाइसेंस धारकों का रिकॉर्ड होना चाहिए। डीएओ का कहना है कि वह अपने विभाग के निजी डॉक्यूमेंट किसी दूसरे विभाग को कैसे दे सकती हैं। अगर उनके आरोप सही हैं तो जिला अधिकारी द्वारा मांगे जाने पर रिकॉर्ड क्यों नहीं उपलब्ध करा रहे हैं। अब डी एच यू दोतरफा घिरे नजर आ रहे हैं। डीएचओ को डीएम के रिमाइंडर पत्र और डीएओ के स्पष्ट रुख का सामना करना पड़ रहा है। डीएओ ऋतुशा तिवारी का कहना है कि डीएचओ जिला कृषि विभाग के अभिलेखों की जांच करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। इस संबंध में डीएचओ सुनील कुमार से संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन, उनका मोबाइल नंबर स्विच ऑफ मिला।