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ऑक्‍सीजन की कमी से जूझ रही मुरादाबाद की निर्यात इंडस्ट्री, छह महीने तक के लिए आर्डर बुक, काम नहीं हो पा रहे पूरे

काेरोना संक्रमण के बढ़ने के कारण 25 फीसद कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं। हालांकि निर्यातकों ने अपने कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण से बचाए रखने के इंतजाम भी किए हैं जिसके चलते फैक्ट्रियों में लगातार काम हो रहा है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 12:50 PM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 12:50 PM (IST)
ऑक्‍सीजन की कमी से जूझ रही मुरादाबाद की निर्यात इंडस्ट्री, छह महीने तक के लिए आर्डर बुक, काम नहीं हो पा रहे पूरे
आर्डर को पूरा करने के लिए आवश्यक मैन पावर की कमी पड़ रही है।

मुरादाबाद, जेएनएन। देश भर में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है। इस सब के बीच निर्यात इंडस्ट्री राहत की उम्मीद जगा रही है। इंडस्ट्री पर आर्डर की भरमार है। आने वाले छह महीने तक के लिए आर्डर बुक हैं। पर स्थिति यह है कि कोरोना के कारण पूरी क्षमता के साथ फैक्ट्रियों में काम नहीं हो पाने के कारण समय से आर्डर पूरे नहीं हो पा रहे हैं। मुरादाबाद के बड़े निर्यातकों ने आर्डर लेना बंद कर दिया है। उनके पास पहले से जो काम है, उन्हें पूरा करने में लगे हैं। सबसे बड़ा संकट ऑक्‍सीजन का है। इसकेे अलावा कर्मचार‍ियों की कमी भी बनी हुई है। 

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काेरोना संक्रमण के बढ़ने के कारण 25 फीसद कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं। हालांकि, निर्यातकों ने अपने कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण से बचाए रखने के इंतजाम भी किए हैं, जिसके चलते फैक्ट्रियों में लगातार काम हो रहा है। हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद भी पूरा सहयोग कर रही है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने इस बार कुछ ज्यादा ही नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, इस बार लाकडाउन नहीं होने के कारण दुनिया भर के बाजार खुले हुए हैं। बाजार खुलने के कारण हस्तशिल्प निर्यात इंडस्ट्री को लगातार आर्डर मिल रहे हैं। इन आर्डर को पूरा करने के लिए आवश्यक मैन पावर की कमी पड़ रही है। कोरोना की इस मार में कर्मचारियों और दस्तकारों को कोरोना से बचाए रखना और काम करना चुनौती है। कोरोना के कारण बीस फीसद तक कर्मचारी कम आ रहे हैं। फैक्ट्रियों में शारीरिक दूरी का नियम पालन कराने के कारण 20 फीसद कम स्टाफ को बुलाया जा रहा है।

ऑक्‍सीजन बनी सबसे रोड़ा

मुरादाबाद ही हस्तशिल्प निर्यात इंडस्ट्री आज भी पुराने तौर-तरीकों और साजो सामान पर अधिक निर्भर है। फैक्ट्रियों के अलावा दस्तकारों और छोटे कारखानों में काम ज्यादा होता है। पीतल के सामान को सुंदर बनाने के लिए पीतल की वेल्डिंग होती है, इसके लिए ऑक्‍सीजन की जरूरत है। कोरोना के चलते उत्पन्न हुई मेडिकल इमरजेंसी में इंडस्ट्री को ऑक्‍सीजन की आपूर्ति पूरी तरह से बंद है। ऐसे में मुरादाबाद के 90 फीसद कारखाने बंद हो चुके हैं। फैक्ट्रियों में काम चल रहा है, पर वहां भी आक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने से 50 फीसद क्षमता पर कार्य चल रहा है।

मुरादाबाद के सभी निर्यातकों के पास भरपूर काम है। मुरादाबाद के अलावा देश भर के निर्यातकों पर काम की कमी नहीं है। पर वर्तमान स्थिति में समय से आर्डर पूरे नहीं हो पा रहे हैं। कोविड के चलते मुरादाबाद की इंडस्ट्री इस समय बीस से 25 फीसद तक कर्मचारियों की कमी से जूझ रही है। फैक्ट्रियों में कोविड से बचाव के सभी नियम लागू किए जा रहे हैं, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

कमल सोनी, उपाध्यक्ष, हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद

मुरादाबाद के निर्यातकों पर इस समय पांच से छह महीने के एडवांस आर्डर हैं। पर उन्हें समय से पूरा कर पाना मुश्किल हो रहा है। जीवन बचाने के लिए ऑक्‍सीजन प्रयोग होने से इंडस्ट्री में काम ठप सा कर दिया है। बायर्स को स्थिति बताई जा रही है, तो वह भी सहयोग कर रहे हैं। अब स्थिति यह है कि आर्डर एक साथ पूरा भेजने के बजाय जितना काम पूरा हो रहा है, उसके अनुसार भेजे जा रहे हैं।

नीरज खन्ना, नेशनल चेयरमैन, यंग इंटरप्रेन्योर सोसाइटी

मुरादाबाद में बनने वाले मेटल आइटम एक ही जगह नहीं बनते हैं। वह फैक्ट्री के अलावा अलग-अलग कई जगह से बनकर आते हैं। कोविड की दूसरी लहर में यह सब संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में जो आर्डर हाथ में हैं, उन्हें भी समय से पूरा नहीं कर पा रहे हैं। फिर आने वाले दिनों में हालात सुधरने पर तेजी से काम होने की उम्मीद है।

अंशुल अग्रवाल, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती

मुरादाबाद से होने वाला निर्यात

आठ हजार करोड़ वर्ष 2020-21 में पिछले साल की तुलना में दस फीसद अधिक निर्यात हुआ पिछले साल की तुलना में इस साल छह सौ कंटेनर अधिक रवाना हुए


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